परमाणु संरचना (Atomic Structure ) क्या है,
मंगलवार, 28 जुलाई 2020
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परमाणु संरचना (Atomic Structure): प्राचीन काल से ही दार्शनिक मानते रहे हैं कि प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है | परन्तु इसका कोई प्रायोगिक प्रमाण नहीं था | सन 1803 ई. में डाल्टन ने बताया कि प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से बना होता है, जिन्हें 'परमाणु' (Atom) कहते हैं | डाल्टन ने उस समय बताया कि परमाणु का किसी भी भौतिक अथवा रासायनिक विधि द्वारा विभाजन नहीं किया जा सकता, परन्तु, आगे चलकर परमाणु का भी विभाजन हुआ और विभाजक कणों को पदार्थ का मौलिक कण कहा गया |
मौलिक कणों (Fundamental Particles): भौतिक में मूल कण वे कण है, जिनकी संरचना किन्ही और कणों से नहीं हुई है और जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता | सन 1932 ई. में पूर्व तक 'इलेक्ट्रान' एवं 'प्रोटोन' ही केवल मूल कण माने जाते थे | सन 1932 ई. में 'चैडविक' (Chadwick) द्वारा 'न्यूट्रान' नामक आवेशरहित कण की खोज की गई तब इसकी संख्या तीन हो गई | इसके बाद मूल कणों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई | आज मूल कणों की संख्या 30 से उपर पहुँच चुकी है | कुछ प्रमुख मूल कण इस प्रकार हैं -
1. इलेक्ट्रान (Electron): इसकी खोज सन 1897 ई. में 'जे.जे. थॉमसन' (J.J. Thomson) के द्वारा की गई थी | उन्हें 'आधुनिक भौतिकी का जनक' (The Father of Modern Physics) कहा जाता है | इलेक्ट्रान एक ऋणावेशित मूल कण है तथा परमाणु के नाभिक के चारों ओर विभिन्न उर्जा स्तरों वाले कक्षाओं में चक्कर काटते रहते हैं | इस पर 1.6 x 10^-19 कुलम्ब ऋण आवेश होता है | इसका द्रव्यमान 9.1 x 10^-31 किग्रा. होता है | यह एक स्थाई (stable) मूल कण है |
2. प्रोटान (Proton): यह एक धनात्मक मूल कण है, जो परमाणु के नाभिक में रहता है | इसकी खोज 1896 ई. में 'गोल्डस्टीन' (Goldstein) ने की थी | इस मूल कण का नामकरण रदरफोर्ड (Rutherford) ने किया | इस पर 1.6 x 10^-19 कुलम्ब धन आवेश होता है | इसका द्रव्यमान 1.67 x 10^-27 किग्रा होता है | यह एक स्थाई मूल कण है |
3. न्यूट्रान (Neutron): इसकी खोज सन 1932 ई. में 'चैडविक' (Chadwick) ने की थी | यह एक आवेश रहित मूल कण है, जो परमाणु के नाभिक में रहता है | इसका द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान के बराबर होता है | यह के अस्थाई (unstable) मूल कण है | इसको जीवन काल 17 मिनट होता है | न्यूट्रान का उपयोग जीव-विज्ञान एवं चिकित्सा विज्ञान में होता है | आवेश रहित होने के कारण इसका उपयोग नाभिकीय विखंडन में किया जाता है |
4. पौजीट्रान (Positron): इसकी खोज सन 1932 ई. में 'एंडरसन' (Anderson) ने की थी | यह एक धन आवेशित मूल कण है, जिसका द्रव्यमान व आवेश इलेक्ट्रान के बराबर होता है | इसीलिए इसे 'इलेक्ट्रान का एंटी-कण' (Anti-Particle of Electron) भी कहते हैं |
5. न्यूट्रिनो (Neutrino): इसकी खोज सन 1930 ई. 'पाउली' (Pauli) ने की थी | यह द्रव्यमान व आवेश रहित मूल कण है | ये दो प्रकार के होते हैं, न्यूट्रिनो एवं एंटीन्यूट्रिनो | इनके चक्रण (spin) एक-दूसरे के विपरीत होते हैं |
6. पाई-मेसौन: इसकी खोज सन 1935 ई. में 'एच. युकावा' (H.Yukawa) ने की थी | यह दो प्रकार की होती है - धनात्मक पाई मेसौन एवं ऋणात्मक पाई मेसौन | यह एक अस्थाई मूल कण है | इसका जीवनकाल 10^-8 से. होता है | इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रान के द्रव्यमान का 274 गुना होता है |
7. फोटोन (Photon): ये उर्जा के बंडल (packet) होते हैं, जो प्रकाश की चाल से चलते हैं | सभी विद्युत् चुम्बकीय किरणों का निर्माण मूल कण से हुआ है | इनका विराम द्रव्यमान (Rest Mass) शून्य होता है |
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