पुल्लिंग व् स्त्रीलिंग के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों का परिवर्तन
लिंग क्या होता है ये आपने पिछली पोस्ट में जाना अब पुल्लिंग और स्त्रीलिंग के बारे में आगे जाने
#striling and pulling examples in hindi
pulling aur striling |
14. जिन शब्दों के अंत में त्र, न,ण,ख,ज,आर,आय, हों वे प्राय: पुल्लिंग होते है जैसे
चित्र, रदन, वदन, जागरण, पोषण, सुख, सरोज, मित्र, सदन, बदन, व्याकरण, भोजन, दु:ख, मनोज, पत्र, रमन, पालन, भरण, हरण, रूख, भोज, अनाज, ताज, समाज, ब्याज, जहाज, प्रकार, द्वार, श्रृंगार, विहार, आहार, संचार, आचार, विचार, प्रचार, अधिकार, आकार, अध्यवसाय, व्यवसाय, अध्याय, न्याय |
अपवाद (यानी स्त्री०)
बकन, सीख, लाज, खोज, हार, हाय, लगन, भीख, खाज, हुंकार, बौछार, गाय, चुमन, चीख, मौज, पुकार, जयजयकार, राय |
15. सब्जियों पेड़ों और बर्तनों में कुछ के नाम पुल्लिंग तो कुछ के स्त्री है |
पुल्लिंग
शलगम, अदरख, टमाटर, बैंगन, पुदीना, मटर, प्याज, आलू, लहसुन, धनिया, खीरा, करेला, कचालू, कद्दू, कुम्हड़, नीम्बू, तरबूज, खरबूजा, कटहल, फालसा, पपीता, कीकर, सेब, बेल, जामुन, शहतूत, नारियल, माल्टा, विजौरा, तेंदु, आबनूस, चन्दन, देवदार, ताड़, खजूर, बूटा, वन, टब, पतीला, कटोरा, चूल्हा, चम्मच, स्टोव, चाकू, कप, चर्खा, बेलन, कुकर |
स्त्रीलिंग
बन्दगोभी, फूलगोभी, भिन्डी, तुरई, मुली, गाजर, पालक, मेथी, सरसों, फलियाँ, ककड़ी, कचनार, शकरकंदी, नीम, नाशपाती, लीची, इमली, बीही, अमलतास, मौसम्बी, खुमानी, चमेली, अंजीर, नरगिस, चिरौंजी, बल्लरी, लता, बेल, पौध, जड़, बगिया, छुरी, भट्ठी, बाल्टी, देगची, कटोरी, कैंची, थाली, चलनी, चक्की, थाल, तवा, नल |
16. रत्नों के नाम, धातुओं के नाम तथा द्रवों के नाम अधिकांशत: पुल्लिंग हुआ करते है | जैसे --
पुखराज, हीरा, पन्ना, नीलम, लाल, जवाहर, मूँगा, मोती, सोना, पीतल, ताम्बा, लोहा, काँस्य, सीसा, एल्युमिनियम, प्लेटिनम, युरेनियम, टिन, जस्ता, पारा, पानी, जल, घी, तेल, सोडा, दूध, शर्बत, रस, जूस, काढ़ा, कहवा, कोका, जलजीरा आदि |
#पुलिंग और स्त्रीलिंग शब्द लिस्ट
अपवाद (यानी स्त्री०)
सीपी, मणि, रत्ती, चाँदी, मद्य, शराब, चाय, कॉफ़ी, लस्सी, छाछ, शिकंजवी, स्याही, बुंद, धारा आदि |
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17. आभूषणों में स्त्रीलिंग एवं पुल्लिंग शब्द है --
पुल्लिंग
कंगन, कड़ा, कुंडल, गजरा, झूमर, बाजूबन्द, हार, काँटे, झुमका, कील, शीशफूल, आभूषण |
स्त्रीलिंग
आरसी, नथ, तीली, माला, बाली, झालर, चूड़ी, बिंदिया, पायल, अँगूठी, कंठी, मुद्रिका |
18. किराने की चीजों के नाम, खाने-पीने के सामानों के नाम और वस्त्रों के नामों में पुल्लिंग स्त्रीलिंग इस प्रकार होते है |
#पुलिंग और स्त्रीलिंग शब्द list
पुल्लिंग
अदरक, जीरा, धनिया, मसाला, अमचुर, अनारदाना, पराठा, हलवा, समोसा, भात, भठुरा, कुल्या, चावल, रायता, गोलगप्पे, पापड़, लड्डू, रसगुल्ला, मोहनभोग, पेड़, फुल्का, रूमाल, कुरता, पाजामा, कोट, सूट, मोज़े, जांघिया, दुपट्टा, पेटीकोट |
स्त्रीलिंग
सोंठ, हल्दी, सौंफ, अजवायन, दालचीनी, लौंग, हींग, सुपारी, इलायची, मिर्च, कालीमिर्च, इमली, रोटी, रसा, खिचड़ी, पुड़ी, दाल, खीर, चपाती, चटनी, पकौड़ी, भाजी, सब्जी, तरकारी, कौजी, बर्फी, मुट्ठी, बर्फ़, चोली, अंगिया, जुर्राब, गंजी, पतलून, कमीज, साड़ी, धोती, पगड़ी, चुनरी, निक्कर, बनियान, टोपी |
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19. आ, ई, उ, ऊ अंतवाली संज्ञाएँ स्त्रीलिंग और पुल्लिंग इस प्रकार होती है ---
पुल्लिंग
कुर्ता, कुत्ता, बुढ़ा, शशि, रवि, यति, कवि, हरि, मुनि, ऋषि, पानी, दानी, घी, प्राणी, स्वामी, मोती, दहीं, गुरु, साधु, मधु, आलू, काजू, भालू, आंसू |
स्त्रीलिंग
प्रार्थना, दया, आज्ञा, लता, माला, भाषा, कथा, दशा, परीक्षा, पूजा, कृपा, विद्या, शिक्षा, दीक्षा, बुद्धि, रूचि, राशि, क्रांति, नीति, भक्ति, मति , छवि, स्तुति, गति, स्थिति, मुक्ति, रीति, नदी, गठरी, उदासी, सगाई, चालाकी, चतुराई, चिट्ठी, मिठाई, मूंगफली, लकड़ी, पढ़ाई, ऋतु, वस्तु, मृत्यु, वायु, बालू, लू, झाड़ू, वधू |
20. ख, आई, हट, वट, ता आदि अंतवाली संज्ञाएँ प्राय: स्त्रीलिंग होती है | जैसे -
राख, भीख, सीख, भलाई, बुराई, ऊँचाई, गहराई, सच्चाई, आहट, मुस्कराहट, घबराहट, झुंझलाहट, झल्लाहट, सजावट, बनावट, मिलावट, रुकावट, थकावट, स्वतंत्रता, पराधीनता, लघुता, शत्रुता, कटुता, मधुरता, सुन्दरता, प्रसन्नता, सत्ता, रम्यता, अक्षुण्णता |
21. भाषाओं तथा बोलियों के नाम स्त्रीलिंग हुआ करते है | जैसे ---
हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंगला, मराठी, तमिल, गुजराती, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, सिन्धी, उर्दू, अरबी, फ़ारसी, चीनी, फ्रेंच, लैटिन, ग्रीक, ब्रज, बाँगडू, अपभ्रंश, प्राकृत, बुंदेली, मगही, अवधी, भोजपुरी, मैथिली, पंजाबी, अफ्रीदी |
22. अरबी फ़ारसी के अन्य शब्दों में कुछ स्त्रीलिंग तो कुछ पुल्लिंग इस प्रकार होते है ---
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पुल्लिंग
हिसाब, कबाब, जनाब, मकान, इनसान, मेहमान, मेजबान, दरबान, अख़बार, बाजार, दुकानदार, मजा, वक्त, खत, होश, जोश, कुदरत, नवाब, जवाब, कशौदाकार |
स्त्रीलिंग
दुकान, सरकार, दीवार, दवा, हवा, दुनिया, फिजाँ, हया, शर्म, गरीबी, अमीरी, वफादारी, लाचारी, खराबी, मजदूरी, लाश, तलाश, कशिश, बारिश, शोरिश, कोशिश |
23. अरबी – फ़ारसी उर्दू के ‘त’ अंतवाली संज्ञाएँ प्राय; स्त्रीलिंग होती है | जैसे \
मोहब्बत, शोहरत, इज्जत, जिल्लत, किल्लत, शरारत, हिफाजत, इबादत,नसीहत, बगावत, हुज्जत, जुर्रत, कयामत, नजाकत, गनीमत |
24. अंग्रेजी भाषा से आये शब्दों का लिंग हिंदी भाषा की प्रकृति के अनुसार तय होता है | जैसे ---
पुल्लिंग
टेलिफ़ोन, टेलीविजन, रेडियो, स्कूल, स्टूडेंट, स्टेशन, पेन, बूट, बटन |
स्त्रीलिंग
ग्राउंड, युनिवर्सिटी, बस, जीव, फ़ोटो, कार, ट्रेन, बोतल, पेंट,मशीन, पेंसिल, फिल्म, फ़ीस, पिक्चर |
#पुलिंग और स्त्रीलिंग शब्द list
25. क्रियार्थक संज्ञाएँ पुल्लिंग होती है | जैसे --
’नहाना’ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है | ‘टहलना’ हितकारी होता है | ‘गाना’ एक व्यायाम होता है |
नोट :- जब कोई क्रियावाची शब्द (अपने मूल रूप में) किसी कार्य के नाम के रूप में प्रयुक्त हो तब वह संज्ञा का काम करने लगता है | इसे’ क्रियार्थक संज्ञा कहते है | ऊपर के तीनों वाक्यों में अंकित के पद संज्ञा है न कि क्रिया |
26. द्वन्द्व समास के समस्तपदों का प्रयोग पुल्लिंग बहुवचन में होता है |
नीचे लिखे वाक्यों पर ध्यान दें --
1. मेरे माता-पिता आये है | 2. उनके भाई-बहन शहर में पढ़ते है |
लिंग सम्बन्धी कुछ रोचक और विचारणीय बातें :
हिंदी भाषा में लिंगों का तन्त्र काफी विकृत एवं भ्रामक है क्योकि एक ही शब्द का एक पर्याय तो स्त्रीलिंग है ; जबकि दूसरा पुल्लिंग | हिंदी के भाषाविदों एवं विद्वानों के लिए यह चुनौती भरा कार्य है कि वे मिल जुलकर इसपर विमर्श करें और कोई ठोस आधार त्य करें |भारत सरकार एंव राष्ट्रभाषा परिषद को भी सचेतन रूप से इस पर ध्यान देना चाहिए , नहीं तो कहीं यह भाषा अपनी पहचान न खो दे | वर्तमान समय में हिंदी भाषा का कोई ऐसा कोश नहीं है जो भ्रामक नहीं है |
नीचे लिखे वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखें और तर्क की कसौटी पर परखें कि कितनी हास्यास्पद बात है कि यह एक शब्द जो स्त्रीलिंग है तो उसके तमाम पर्यायवाची शब्द भी स्त्रीलिंग ही होने चाहिए अथवा एक पुल्लिंग तो उसके सभी समानार्थी पुल्लिंग ही हों –
1. गोलीलगते ही शेर की आत्मा निकल गई |
गोली लगाते ही शेर के प्राण निकल गए |
2. उसका शरीर बुखार से तप रहा था |
उसकी देह काफी कमजोर हो गई |
उसका तन सुंदर है |
उस मजदूर की काया बेकाम हो गई |
3. प्रदुषण के कारण उनकी आँख लाल हो गई |
धुल पड़ने के कारण उनके नेत्र लाल हो गये |
4. उसका पैर थर-थर कर रहा था |
उसके पाँव फट गये |
उसकी टांग कांपने लगी |
5. कराटे-प्रशिक्षित लोगों के हाथ मजबूत होते है |
उसकी भुजा कमजोर पड़ गई |
इसी तरह एक और बात है यदि हमारा कोई अंग (सम्पूर्ण रूप से) पुल्लिंग या स्त्रीलिंग है तो फिर उसका अलग-अलग हिस्सा कैसे भिन्न लिंग का हो जाता है |
निम्नलिखित उदाहरणों पर विचार करें --
हाथ
हाथ -- पुल्लिंग
बाँह -- स्त्रीलिंग
उँगली -- स्त्रीलिंग
कलाई -- स्त्रीलिंग
अंगूठा -- पुल्लिंग |
पैर
पैर -- पुल्लिंग
जाँघ -- स्त्रीलिंग
घुटना -- पुल्लिंग
तलवा -- पुल्लिंग
एड़ी -- स्त्रीलिंग
चेहरा पुल्लिंग
बाल – यदि यह पुल्लिंग है तो फिर दाढ़ी, मूँछ, चेहरे पर स्थित आँख, नाक, भौंह, ढोडी, आदि के बाल स्त्रीलिंग क्यों है ?
दाढ़ी, मूँछ, जीभ- ये सभी स्त्रीलिंग और मुंह, कान, गाल, माथा, दांत, - ये सभी पुल्लिंग |
नोट : पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियमों और उदाहरणों की चर्चा शब्द, प्रकरण में स्त्री प्रत्यय बताने के क्रम में हो चुकी है |
वाक्य द्वारा लिंग-निर्णय :
वाक्य द्वारा लिंग निर्णय करने की मुख्य रूप से निम्नलिखित विधियाँ है :
1. सम्बन्ध विधि :- इस विधि से लिंग-निर्णय करने के लिए हमें निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए :
a. पुल्लिंग संज्ञाओं के लिए सम्बद्ध के चिन्ह ‘का-ना-रा’ का प्रयोग करना चाहिए |
b. उक्त संज्ञा को या तो वाक्य का उद्देश्य या कर्म या अन्य कारकों में प्रयोग करना चाहिए |
c. संज्ञा का जिससे सम्बन्ध है उन दोनों को एक साथ रखना चाहिए |
नीचे लिखे उदाहरणों को देखें –
रुमाल (उद्देश्य रूप में)
1. यह मेरा रुमाल है | --- (‘मेरा’ से लिंग स्पष्ट)
2. उनका रुमाल सुंदर है | --- (‘उनका’ से लिंग- स्पष्ट)
3. अपना भी एक रूमाल है | --- (‘अपना’ से लिंग – स्पष्ट)
पुस्तक
1. वह मेरी पुस्तक है | --- (‘मेरी’ से लिंग- स्पष्ट)
2. उसकी पुस्तक यहाँ है | --- (‘उसकी’ से लिंग स्पष्ट)
3. वहाँ अपनी पुस्तक है | --- (‘अपनी’ से लिंग- स्पष्ट)
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कर्म एवं अन्य कारक रूपों में
1. वह मेरा रूमाल उपयोग में लाता है | -- (कर्म रूप)
2. वह मेरे रूमाल के लिए दौड़ पड़ा | -- (सम्प्रदान रूप)
3. मेरे रूमाल में गुलाब का फूल बना है | -- (अधिकरण रूप)
4. वह मेरे रुमाल से बल्ब खोलता है | -- (करण रूप)
5. मेरे रुमाल से सिक्का गायब हो गया | -- (अपादान रूप)
अब आप स्वयं पता करें पुस्तक का प्रयोग किस कारक में हुआ है --
1. मेरी पुस्तक जीने की कला सिखाती है |
2. उसने मेरी पुस्तक देखी है |
3. मेरी पुस्तक में क्या नहीं है |
4. आपकी पुस्तक पर पेपर किसने रख दिया है?
5. मेरी पुस्तक से ज्ञान लेकर देखो |
6. आप मेरी पुस्तक के लिए परेशान क्यों है ?
7. मैं अपनी पुस्तक आपको नहीं दूँगा |
2. विशेषण विधि
इस विधि से लिंग स्पष्ट करने के लिए आप डी गई संज्ञा के लिए कोई सटीक आकारान्त (पुल्लिंग के लिए) या ईकारान्त (स्त्री० के लिए) विशेषण का चयन कर लीजिये, फिर सम्बन्ध विधि की तरह विभिन्न रूपों में उसका प्रयोग कर दीजिये |
आकारान्त विशेषण :- अच्छा, बुरा, काला,गोरा, भूरा, लंबा, छोटा, ऊँचा, मोटा, पतला
ईकारान्त विशेषण :- अच्छी, बुरी, काली, गोरी, भूरी, लम्बी, छोटी, मोटी, पतली
नीचे लिखे उदाहरण देखें
1. मोती : मोती चमकीला है | -- (‘चमकीला’ से लिंग स्पष्ट)
2. दहीं : दहीं खट्टा नहीं है | -- (‘खट्टा’ से लिंग स्पष्ट)
3. घी : घी महँगा है | -- (‘मँहगा’ से लिंग स्पष्ट)
4. पानी : पानी गंदा है | -- (‘गंदा’ से लिंग स्पष्ट)
5. रूमाल : रुमाल चौड़ा है | -- (‘चौड़ा’ से लिंग स्पष्ट)
6. पुस्तक : पुस्तक अच्छी है | -- (‘अच्छी’ से लिंग स्पष्ट)
7. कलम : कलम नई है | -- (‘नई’ से लिंग स्पष्ट)
8. ग्रंथ : ग्रंथ बड़ा है | -- (बड़ा से लिंग स्पष्ट)
9. रात : रात डरावनी है | -- (‘डरावनी’ से लिंग स्पष्ट)
10. दिन : दिन छोटा है | -- (‘छोटा’ से लिंग स्पष्ट)
11. मौसम : मौसम सुहाना है | -- (‘सुहाना’ से लिंग स्पष्ट)
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3. क्रिया विधि
इस विधि से लिंग निर्धारण के लिए भी आकारान्त व ईकारान्त क्रिया का प्रयोग होता है | विशेषण विधि की तरह पुल्लिंग संज्ञा के लिए आकारान्त और स्त्रीलिंग संज्ञा के लिए ईकारान्त क्रिया का प्रयोग किया जाता है |
निम्नलिखित वाक्यों को देखें -
1. गाय ; गाय मीठा दूध देती है |
मोती : मोती चमकता है |
बचपन : उसका बचपन लौट आया है |
सड़क : यह सड़क लाहौर तक जाती है |
आदमी : आदमी आदमीयत भूल चूका है |
पेड़ : पेड़ आक्सीजन देता है |
चिड़िया : चिड़िया चहचहा रही है |
दीमक : दीमक लकड़ी को बर्बाद कर देती है |
खटमल : खटमल परजीवी होता है |
नोट: उपर्युक्त वाकयों में आपने देखा कि सभी संज्ञाओं का प्रयोग उद्देह्य (कर्ता) के रूप में हुआ है | ध्यान दें – क्रिया विधि से लिंग निर्णय करने पर वह संज्ञा शब्द (जिसका लिंग – स्पष्ट करना है) वाक्य में कर्ता का काम करता है |
4. कर्ता में ‘ने’ चिन्ह लगाकर
इस विधि से लिंग- निर्णय करने केलिए हमें निम्नलिखत बातों पर ध्यान देना चाहिए –
1. दिए गये शब्द को कर्म बनाएं और कोई अन्य कर्ता चुन लें |
2. कर्ता में ‘ने’ चिन्ह और ‘कर्म’ में शून्य चिह्न (यानी कोई चिन्ह नहीं) लगाएं |
3. क्रिया को भूतकाल में क्रम (दिए गये शब्द) के लिंग वचन के अनुसार रखें |
ठीक इस तरह --
कर्ता (ने) + दिया गया शब्द (चिन्ह रहित) + कर्मानुसार क्रिया
नीचे लिखे उदाहरणों को देखें --
घोड़ा : मैंने एक अरबी घोड़ा खरीदा |
घड़ी : चाचाजी ने मुझे एक घड़ी दी |
कुर्सी : आपने कुर्सी क्यों तोड़ी ?
साइकिल : मम्मी ने एक साइकिल दी |
गोली : तुमने ही गोली चलाई थी |
कान : मैंने कान पकड़ा
फसल : किसानों ने फसल काटी |
सूरज : मैंने उगता सूरज देखा |
ध्यातव्य बातें ; हमने केवल एक वचन संज्ञाओं का वाक्य प्रयोग बताया है | बहुवचन के लिए उसी के अनुसार सम्बन्ध (के-ने-रे) विशेषण एवं क्रिया (एकारान्त-ईकारान्त) लगाने चाहिए |
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