लिंग किसे कहते हैं व् लिंग के कितने भेद होते हैं
लिंग के कितने भेद होते हैं?
लिंग
हिंदी भाषा में संज्ञा शब्दों के लिंग का प्रभाव उनके विशेषणों तथा क्रियाओं पर पड़ता है | इस दृष्टि से भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए संज्ञा शब्दों के लिंग-ज्ञान अत्यावश्यक है |
‘लिंग’ का शब्दिक अर्थ प्रतीक या चिन्ह अथवा निशान होता है | संज्ञाओं के जिस रूप से उसकी पुरुष जाति या स्त्री जाति का पता चलता है उसे ही लिंग कहा जाता है |
लिंग किसे कहते हैं |
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखें
1. गाय बछड़ा देती है |
2. बछड़ा बड़ा होकर गाड़ी खींचता है |
3. पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित रखते है |
4. धोनी की टीम फाइनल में पहुंची
5. सानिया मिर्जा क्वार्टर फाइनल में पहुँची |
6. लादेन ने पेंटागन को ध्वस्त किया |
7. अभी वैश्विक आर्थिक मंदी छायी है |
उपर्युक्त वाक्यों में हम देखते है कि किसी संज्ञा का प्रयोग पुन्ल्लिंग में तो किसी का स्त्रीलिंग में हुआ है | इस प्रकार लिंग के दो प्रकार हुए --
1. पुल्लिंग 2. स्त्रीलिंग
पुन्ल्लिंग से पुरुष जाति और स्त्रीलिंग से स्त्री जाति का बोध होता है |
बड़े प्राणियों (जो चलते-फिरते है _ का लिंग निर्धारण जितना आसान है छोटे प्राणियों और निर्जीवों का लिंग-निर्धारण उतना ही कठिन है | नीचे लिखे वाक्यों में क्रिया का उचित रूप भरकर देखें ---
1. भैया पढ़ने के लिए अमेरिका ............ है | (जाना)
2. भाभी बहुत ही लजीज भोजन ........... है | (बनाना)
3. शेर को देखकर हाथी चिग्घाड़ने ........... | लगना)
4. राणा का घोड़ा चेतक बहुत तेज ........... | (दौड़ना)
5. तनवीर नाट्य जगत् के सिरमौर ............ | (होना)
6. चींटी अंडे लेकर ........... | (चलना)
7. चील बहुत ऊँचाई पर उड़ ............. है | (रहना)
8. भरी सभा में ........... नाक कट ......... | (वह/जाना)
9. किताब ........ | (लिखा जाना)
10. मेघ बरसने .......... | (लगना)
आपने गौर किया होगा कि ऊपर के प्रथम पांच वाक्यों को भरना जितना आसान है , नीचे के शेष वाक्यों को भरना उतना ही कठिन | क्यों ? क्योंकि, आपको उनके लिंगों पर संदेह होता है | इसलिए वैयाकरणों ने लिंग निर्धारण के कुछ नियम बनाये है जो इस प्रकार है ---
नोट :- वैयाकरण विभिन्न साहित्यकारों और आम जनों के भाषा-प्रयोग के आधार पर नियमों का गठन करते है ; अपने मन से नियम नहीं बनाते | अर्थात् भाषा – सम्बन्धी नियम उसके प्रयोग पर निर्भर करता है |
#पुल्लिंग की परिभाषा , #स्त्रीलिंग की परिभाषा
1. प्राणियों के समूह को व्यक्त करने वाली कुछ संज्ञाएँ पुल्लिंग है तो कुछ स्त्रीलिंग
a. पुल्लिंग :- परिवार, कुटुम्ब,संघ, दल , गिरोह, झुंड, समुदाय , समूह , मंडल, प्रशासन, दस्ता, कबीला , देश , राष्ट्र, राज्य, प्रांत, मुलक, नगरनिगम, प्राधिकरण, मंत्रिमंडल, अधिवेशन, स्कूल, विद्यालय, विद्यापीठ, विश्वविद्यालय |
b. स्त्रीलिंग :- सभा, जनता, सरकार, प्रजा, समिति, फ़ौज, सेना, ब्रिगेड, मंडली, कमिटी, टोली, जाति, जात- पात, कौम, प्रजाति, भीड़, पुलिस, नगरपालिका, संसद, राज्यसभा , विधानसभा, पाठशाला, बैठक |
2. तत्सम एवं विदेशज शब्द हिंदी में लिंग बदल चुके है :
1. शब्द :- महिमा
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
2. शब्द :- आत्मा
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- (आतमा) स्त्री०
3. शब्द :- देह
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
4. शब्द :- देवता
• तत्सम/विदेशज :- स्त्री०
• हिंदी में :- पुं०
5. शब्द :- विजय
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
6. शब्द :- दुकान
• तत्सम/विदेशज :- स्त्री०
• हिंदी में :- (दूकान)पुं०
7. शब्द :- मृत्यु
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
8. शब्द :- किरण
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
9. शब्द :- समाधि
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
10. शब्द :- राशि
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
11. शब्द :- ऋतु
• तत्सम/विदेशज :- पुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
12. शब्द :- वस्तु
• तत्सम/विदेशज :- नपुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
13. शब्द :- आयु
• तत्सम/विदेशज :- नपुं०
• हिंदी में :- स्त्री०
3. कुछ शब्द उभयलिंगी है | इनका प्रयोग दोनों लिंगों में होता है
a. ‘तार’ आया है | ------ तार आई है |
b. मेरी ‘आत्मा’ कहती है | ------ मेरा आतमा कहता है |
c. ‘वायु’ बहती है | ------ वायु बहता है |
d. ‘पवन’ सनसना रही है | ------ पवन सनसना रहा है |
e. दहीं’ खट्टी है | ------ दहीं खट्टा है |
f. ‘साँस’ चल रही थी | ------ साँस चल रहा था |
g. मेरी ‘कलम’ अच्छी है | ------ मेरा कलम अच्छा है |
h. ‘रामायण’ लिखी गई | ------ रामायण लिखा गया |
i. उसने ‘विनय’ की ------ उसने विनय किया |
नोट: प्रचलन में आत्मा, वायु, पवन ,साँस, कलम, रामायण आदि का प्रयोग स्त्री० में था तार, दहीं, विनय आदि का प्रयोग पूल्लिंग में होता है | हमें प्रचलन को ध्यान में रखकर ही प्रयोग में लाना चाहिए |
4. कुछ ऐसे शब्द है, जो लिंग-बदल जाने पर अर्थ बदल लेते है :
a. उस मरीज को बड़ी मशक्कत के बाद ‘कल’ मिली है | (चैन)
b. उसका ‘कल’ खराब हो चुका है | (मशीन)
c. ‘कल’ बीत जरुर जाता है , आता कभी नहीं | (बीता और आनेवाला दिन)
d. मल्लिकनाथ ने मेघदूत की ‘टीका’ लिखी | (मूल किताब की व्याख्या)
e. उसने चन्दन का ‘टीका’ लगाया | (माथे पर बिंदी)
f. उसने अपनी बहू को एक सुंदर ‘टीका’ दिया | (आभुषण)
g. वह लकड़ी के ‘पीठ’ पर बैठा भोजन कर रहा है | (पीढ़ा/आसन)
h. उसकी ‘पीठ’ में दर्द हो रहा है | (शरीर का एक अंग)
i. सेठजी के ‘कोटि’ रूपये व्यापार में डूब गये | (करोड़)
j. आपकी ‘कोटि’ क्या है, सामान्य या अनुसूचित ? (श्रेणी)
k. कहते है कि पहले ‘यति’ तपस्या करते थे | (ऋषि)
l. दोहे छंद में 11 और 13 मात्राओं पर ‘यति’ होती है | (विराम)
m. धार्मिक लोग मानते है कि ‘विधि’ सृष्टि करता है | (ब्रह्मा)
n. इस हिसाब की ‘विधि’ क्या है ? (तरीका)
o. उस व्यापारी का ‘बाट’ जोह रहा हूँ | (बटखरा)
p. मैं कबसे आपकी ‘बाट’ जोह रहा हूँ | (प्रतीक्षा)
q. चाकू पर ‘शान’ चढ़ाया गया | (धार देने का पत्थर)
r. हमारे देश की ‘शान’ निराली है | (इज्जत)
s. मेरे पास कश्मीर की बनी एक ‘शाल’ था | (कठोर और सख्त भाग)
t. मैंने एक अच्छी ‘कलम’ खरीदी है | (लेखनी)
u. मैंने आम का एक ‘कलम’ लगाया है | (नई पौध)
5. कुछ प्राणिवाचक शब्दों का प्रयोग केवल स्त्रीलिंग में होता है, उनका पुल्लिंग रूप बनता ही नहीं |
जैसे – सुहागिन, सौत, संतति, संतान, सेना, सती, सौतन, नर्स, औलाद, पुलिस, फ़ौज, सरकार |
6. पर्वतों, समयों, हिंदी महीनों , दिनों, देशों, जल-स्थल, विभागों , ग्रहों, नक्षत्रों, मोटी-भद्दी, भारी वस्तुओं के नाम पुल्लिंग है |
जैसे – हिमालय, धौलागिरि, मंदार, चैत्र, बैसाख, ज्येष्ठ, सोमवार, मंगलवार, भारत, श्रीलंका, अमेरिका, लट्ठा, शनि, प्लूटो, सागर, महासागर आदि |
7. भाववाचक संज्ञाओं में त्व,पा,पन, प्रत्यय जुड़े शब्द पुं० और ता, आस,अट, आई, ई प्रत्यय जुड़े शब्द स्त्रीलिंग है --
पुल्लिंग ---- शिवत्व, मनुष्यत्व, पशुत्व, बचपन, लड़कपन, बुढ़ापा
स्त्रीलिंग ---- मनुष्यता, मिठास, घबराहट, बनावट, लड़ाई, गर्मी, दूरी, प्यास, बड़ाई |
8. ब्रम्हपुत्र, सिन्धु और सोन को छोड़कर सभी नदियों के नामों का प्रयोग स्त्रीलिंग में होता है |
जैसे- गंगा, यमुना, कावेरी, कृष्णा, गंडक, कोसी आदि |
9. शरीर के अंगों में कुछ स्त्रीलिंग तो कुछ पुल्लिंग होते है :
पुल्लिंग :- सिर, माथा, बाल, कान, मुंह, मस्तक, ललाट, कण्ठ, ओष्ठ, दांत, गला, हाथ, पैर, नाखून, भाल, पेट, टखना, अंगूठा, घुटना, मांस, फेफड़ा |
स्त्रीलिंग :- आँख, नाक, जीभ, वेणी, चोटी, शिखा, दाढ़ी, मूँछ, आंत, गर्दन, ग्रीवा, ठोड़ी, कमर, कलाई, पीठ, कुहनी, उँगली, आँख, हड्डी |
10. कुछ प्राणिवाचक शब्द नित्य पुल्लिंग और नित्य स्त्रीलिंग होते है :
नित्य पुल्लिंग
गरुड़, बाज, पक्षी, खग, विहग, कछुआ, मगरमच्छ, खरगोश, गैंडा, चीता, मच्छर, खटमल, बिच्छु, रीछ,जुगनू |
नित्य स्त्रीलिंग
दीमक, चील, जूं, मछली, गिलहरी, मैना, तितली, कोयल, मकड़ी, छिपकली, चींटी |
नोट: इनके स्त्रीलिंग-पुल्लिंग रूप को स्पष्ट करने के लिए नर-मादा का प्रयोग करना पड़ता है | जैसे- नर चील, नर मक्खी, नर मैना, मादा रीछ, मादा खटमल आदि |
11. हिंदी तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते है |
जैसे – प्रतिपदा, द्वितीया, षष्ठी, पूर्णिमा आदि |
12. संस्कृत के या उससे परिवर्तित होकर आये अ,इ,उ प्रत्ययान्त पुं० और नपुं० शब्द हिंदी में भी प्राय: पुं० ही होते है | जैसे ---
जग, जगत्, जीव, मन, जीत, मित्र, पद्य, साहित्य, संसार, शरीर, तन, धन, मीत, चित्र, गद्य, नाटक, काव्य, छंद, अलंकार, जल, पल, स्थल, बल, रत्न, ज्ञान, मान, धर्म, कर्म, जन्म, मरण, कवि, ऋषि, मुनि, संत, कांत, साधु, जन्तु, जानवर, पक्षी |
13. प्राणिवाचक जोड़ों के अलावा ईकारान्त शब्द प्राय: स्त्री० होते है | जैसे
कली, नाली, गाली, जाली, सवारी, तरकारी, सब्जी, सुपारी, साड़ी, नाड़ी, नारी, टाली, गली, भरती, वरदी, सरदी, गरमी, इमली, बाली
परन्तु , मोती, दहीं, घी, जी, पानी आदि ईकारान्त होते हुए भी पुल्लिंग है |
पुल्लिंग और स्त्रीलिंग के बारे में आगे जानने के लिए Click करें
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