नाभिकीय विखंडन और द्रव्यमान क्षति क्या है , जानें

द्रव्यमान-उर्जा समतुल्यता (Mass Energy Equivalence):

आइन्स्टीन ने द्रव्यमान और उर्जा के बीच एक संबंध स्थापित किया, जिसे आइन्स्टीन का 'द्रव्यमान-उर्जा संबंद्ध' कहा जाता है | 1905 में आइन्स्टीन ने अपने आपेक्षिकता के सिद्धांत को प्रतिपादित करनके यह सिद्ध किया कि द्रव्यमान एवं उर्जा एक-दूसरे से स्वतंत्र नहीं है, बल्कि दोनों एक-दूसरे से संबंधित है तथा प्रत्येक पदार्थ में उसके द्रव्यमान के कारण उर्जा भी होती है | सम्पूर्ण नाभिकीय उर्जा का मूल स्त्रोत है - द्रव्यमान का उर्जा परिवर्तन | आइन्स्टीन ने बताया कि प्रत्येक द्रव्यमान (m), उर्जा (E) के समतुल्य है E =mc², जहां c निर्वात में प्रकाश की चाल है, जो 3 x 10^8 मी./से. होती है | इस प्रकार 1 किलो ग्राम द्रव्यमान के समतुल्य उर्जा 1 x (3 x 10^8)² = 9 x 10^16 जूल उर्जा उत्पन्न होती है तथा E जूल उर्जा उत्पन्न होने में E/c² किलोग्राम द्रव्यमान की क्षति (loss) होती है | इससे स्पष्ट है कि जिन अभिक्रियाओं में उर्जा उत्पन्न होती है उनमें द्रव्यमान की हानि भी होती है | रासायनिक अभिक्रियाओं  में उत्पन्न उर्जा अल्प होती है और उसके तुल्य द्रव्यमान की हानि भी नगण्य होती है, इसलिए यह माना जाता है कि रासायनिक अभिक्रियाओं में द्रव्यमान संरक्षित रहता है | इसके विपरीत नाभिकीय अभिक्रियाओं के द्रव्यमान क्षति अधिक होती है और उर्जा भी अधिक विमुक्त (liberate) होती है इसलिए नाभिकीय अभिक्रियाएँ द्रव्यमान संरक्षण नियम का अनुपालन नहीं करती |

द्रव्यमान क्षति (Mass Defect): 

किसी परमाणु के नाभिक का द्रव्यमान उसमें उपस्थित न्युट्रानों और प्रोटानों  के द्रव्यमानों के योग से हमेशा कम होता है | नाभिक के द्रव्यमान में हुई इस कमी 'द्रव्यमान क्षति' के नाम से जाना जाता है | अत: स्पष्ट है कि जब प्रोटान और न्यूट्रान मिलकर नाभिक की रचना करते हैं, तो कुछ द्रव्यमान लुप्त हो जाता है | यह लुप्त द्रव्यमान उर्जा में परिवर्तित हो जाता है | 

परमाणु द्रव्यमान मात्रक (Automic mass unit, a.m.u.): 

कार्बन परमाणु के द्रव्यमान के 1/12 वें भाग को 1 amu कहते हैं अत: 1 a.m.u. = 1.66033 x 10^-27 kg | इसे आजकल 'एकीकृत परमाणु द्रव्यमान मात्रक (Unified Atomic Mass Unit) कहते हैं और u द्वारा व्यक्त करते हैं | इस मात्रक की समतुल्य उर्जा 931 MeV होती है | (1 MeV = 1.6 x 10^-13 जूल)

बंधन उर्जा (Binding energy): 

जब प्रोटान और न्यूट्रान मिलकर नाभिक की रचना करते हैं, तो कुछ द्रव्यमान लुप्त हो जाता है | यह लुप्त द्रव्यमान उर्जा में रूपांतरित हो जाता है | अत: न्यूट्रान एवं प्रोटान के संयोग से किसी नाभिक बनने बनने में जो उर्जा विमुक्त (liberate) होती है, उसे नाभिक की 'बंधन उर्जा' कहते हैं | मान लिया कि किसी नाभिक को बनने में ∆m द्रव्यमान लुप्त होती है, तो आइन्स्टीन के द्रव्यमान उर्जा समतुल्यता के अनुसार उर्जा की मात्रा ∆mc² होती |

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission): 



वह प्रक्रिया जिसमें कोई भारी नाभिक दो लगभग समान आकार के नाभिकों में टूट जाता है, 'नाभिकीय विखंडन' कहलाता है | 'हॉन' तथा 'स्ट्रासमैन' (Hahn and Strassmann) नामक दो जर्मन वैज्ञानिक ने सबसे पहले युरेनियम पर न्यूट्रानों की बमबारी करके इसके नाभिक को दो खंडो में विभाजित किया | युरेनियम-235 के नाभिक के इस विखंडन में बहुत उर्जा उर्सर्जित होती है, इस उर्जा क 'नाभिकीय उर्जा' कहते हैं | नाभिक के विखंडन से प्राप्त नाभिकों का द्रव्यमान विखंडन से पूर्व के नाभिक के द्रव्यमान से कम होता है | द्रव्यमान में हुई यह कमी, द्रव्यमान-उर्जा समीकरण (Mass-energy Equation) के अनुसार उर्जा में परिवर्तित हो जाती है | युरेनियम-235 का नाभिकीय विखंडन अनेक प्रकार से हो सकता है |\nयुरेनियम-235 के नाभिकीय विखंडन के उत्पादों में केवल बेरियम (Ba) और कृपटान (Kr) के समस्थानिक ही नहीं किन्तु, अन्य कई तत्वों के समस्थानिक भी प्राप्त होते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएं 72 से 162 के मध्य तथा परमाणु क्रमांक 36 से 58 के मध्य होते हैं | युरेनियम-235 के एक नाभिक  के विखंडित होने पर तीन नए न्यूट्रान निकलते हैं | युरेनियम-235 की नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया के लगभग 0.214 amu द्रव्यमान की क्षति होती है, जो 0.214 x 931 = 199.234 = 200 (लगभग) MeV उर्जा के तुल्य है |

श्रृंखला अभिक्रिया (Chain Reaction): 

जब युरेनियम पर न्यूट्रानों की बमबारी की जाती है, तो एक युरेनियम नाभिक के विखंडन पर बहुत अधिक उर्जा व तीन नए न्यूट्रान उत्सर्जित होते हैं | ये उत्सर्जित न्यूट्रान युरेनियम के अन्य नाभिकों को भी विखंडित करते हैं | इस प्रकार युरेनियम नाभिकों के विखंडन की एक श्रृंखला बन जाती है तथा यह श्रृंखला तब तक चलती है, जब तक कि सारा युरेनियम सपाप्त नहीं हो जाता है | श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है \n\n1. नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया (Controlled Chain Reaction):नियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया में विखंडन के दौरान निकलने वाले तीन नए न्यूट्रान में से दो को अवशोषित कर लिया जाता है, जिसके कारण यह अभिक्रिया धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से होती है | यह अभिक्रिया परमाणु भट्टी या परमाणु रिएक्टर (Atomic Reactor) में होती है | इस अभिक्रिया के दौरान निकलने वाली उर्जा का उपयोग रचनात्मक कार्य में किया जाता है |\n\n2. अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया (Uncontrolled Chain Reaction): इस अभिक्रिया में आभिक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले न्यूट्रानों की संख्या पर नियंत्रण नहीं होता है | इस कारण विखंडित होने वाले परमाणुओं की संख्या 1,3,9,27,81 ....  के क्रम में बढ़ता जाता है | इस कारण इस अभिक्रिया में उर्जा अत्यंत तीव्र गति से उत्पन्न होती है तथा बहुत कम समय में बहुत अधिक विनाश कर सकती है इस अभिक्रिया में प्रचंड विस्फोट होता है | परमाणु बम (Atom Bomb) में यही अभिक्रिया होती है |

 

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