विशेषण किसे कहते हैं और विशेषण के कितने भेद हैं
विशेषण क्या है |
विशेषण
“जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता अथवा
हीनता बताए, ‘विशेषण’ कहलाता है और वह संज्ञा या सर्वनाम
‘विशेष्य’ के नाम से जाना जाता है |”
नीचे
लिखे वाक्यों को देखें –
अच्छा आदमी सभी जगह सम्मान पाता है |
बुरे आदमी को अपमानित होना पढ़ता है |
उक्त
उदाहरणों में ‘अच्छा’ और
‘बुरा’ विशेषण एवं ‘आदमी’ विशेष्य हैं |
विशेषण
हमारी जिज्ञासाओं का शमन (समाधान) भी करता है | उक्त उदाहरण में ही –
कैसा आदमी ? अच्छा/बुरा
विशेषण
न सिर्फ विशेषता बताता है; बल्कि वह अपने विशेष्य की संख्या और परिमाण (मात्रा) भी बताता है |
जैसे –
पांच लड़के गेंद खेल रहे हैं | (संख्याबोधक)
इस
प्रकार विशेषण के चार प्रकार होते हैं –
1. गुणवाचक विशेषण
“जो शब्द, किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष,
रंग, आकार, अवस्था,
स्थिति, स्वभाव, दशा,
दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए, ‘गुणवाचक विशेषण’ कहलाते हैं |”
गुणवाचक विशेषणों की गणना करना मुमकिन नहीं; क्योंकि इसका क्षेत्र बड़ा ही विस्तृत
हुआ करता है | जैसे –
गुणबोधक
: अच्छा, भला, सुंदर,
श्रेष्ठ, शिष्ट, ............................
दोषबोधक
: बुरा, खराब, उद्दंड,
जहरीला, ............................
रंगबोधक
: काला, गोरा, पीला,
नीला, हरा, ............................
कालबोधक
: पुराना, प्राचीन, नवीन, क्षणिक,
क्षणभंगुर, ............................
स्थानबोधक
: चीनी, मद्रासी, बिहारी, पंजाबी,
............................
गंधबोधक
: खुशबूदार, सुंगधित, ............................
दिशाबोधक
: पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी,
............................
अवस्था
बोधक : गीला, सूखा, जला,
............................
दशाबोधक
: अस्वस्थ, रोगी, भला,
चंगा, ............................
आकारबोधक
: मोटा, छोटा, बड़ा,
लंबा, ............................
स्पर्शबोधक
: कठोर, कोमल, मखमली,
............................
स्वादबोधक
: खट्टा, मीठा, कसौला,
नमकीन, ............................
गुणवाचक
विशेषणों में से कुछ विशेषण ख़ास विशेष्यों के साय प्रयुक्त होते हैं | उनके प्रयोग
से वाक्य बहुत ही सुंदर और मजेदार हो जाया करते हैं | नीचे लिखे उदाहरणों को देखें
–
1. इस
चिलचिलाती धूप में घर से निकलना मुश्किल है |
2. इस
मोहल्ले का बजबजाता नाला नगर निगम की पोल खोल रहा है |
3.
मुझे लाल-लाल टमाटर बहुत पसंद है |
4.
शालू के बाल बलखाती नागिन जैसे हैं |
नोट
: उपर्युक्त वाक्यों में चिलचिलाती ....................... धूप के लिए, बजबजाता ............................
नाले के लिए, लाल-लाल ............................
टमाटर के लिए और बलखाती ............................ नागिन के लिए
प्रयुक्त हुए हैं | ऐसे विशेषणों को ‘पदवाचक विशेषण’ कहा जाता है |
क्षेत्रीय
भाषाओं में जहाँ के लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं, वे कभी-कभी उक्त विशेषणों से भी शानदार विशेषणों का प्रयोग करते
देखे गए हैं | जैसे –
बहुत गहरे लाल के लिए : लाल
टुह-टुह
बहुत सफेद के लिए : उज्जर
बग-बग/दप-दप
बहुत ज्यादा काले के लिए : कार
खुट-खुट/करिया स्याह
बहुत अधिक तिक्त के लिए : नीम हर-हर
बहुत अधिक हरे के लिए : हरिअर/हरा कचोर/हरिअर कच-कच
बहुत अधिक खट्टा के लिए : खट्टा चूक-चूक/खट्टा चून
बहुत अधिक लंबे के लिए : लम्बा डग-डग
बहुत चिकने के लिए : चिक्कन चुलबुल
बहुत मैला/गंदा : मैल कुच-कुच
बहुत मोटे के लिए : मोटा थुल-थुल
बहुत घने तारों के लिए : तारा गज-गज
बहुत गहरा दोस्त : लंगोटिया यार
बहुत मूर्ख के लिए : मूर्ख चपाट/चपाठ
नीचे
दिए गए विशेषणों से उपयुक्त विशेषण चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
मूसलाधार
प्राकृतिक आलसी बासंती तेजस्वी साप्ताहिक टेढ़े-मेढ़े घनी ओजस्वी शर्मीली रंभाती
पीले-पीले लजीज बर्फीली काले-कजरारे बलखाती पर्वतीय कड़कती सुनसान सुहानी वीरान
पुस्तकीय बजबजाता चिलचिलाती
1.
...................... धूप को जो चांदनी देते बना |
2.
उसके ...................... घाव से मवाद रिस रहा है |
3.
...................... बादलों को उमड़ते-घुमड़ते देख कृषक प्रसन्न हो उठे |
4.
...................... बरसता पानी, ज़रा न रुकता लेता दम |
5. उस बालक का चेहरा बड़ा ...................... था
|
6.
आज माँ ने बड़ा ...................... भोजन बनाया है |
7.
कई मुहल्लों की गलियाँ बच्चों के बिना ...................... हो गई |
8.
...................... प्रदेशों की यात्रा बहुत ही आनन्दप्रद होती है |
9.
उन वादियों की ...................... सुषमा बड़ी चित्ताकर्षक है |
10.
रविवार को ...................... अवकाश रहता है |
11.
वह लड़की बहुत ...................... है |
12.
जोरों की ...................... हवा चलने लगी |
13.
...................... बिजली से आँखें चुंधिया गई |
14.
...................... ज्ञान से व्यावहारिक ज्ञान अधिक प्रामाणिक होता है |
15.
...................... व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं होते |
16.
ये ...................... रास्ते उन्हीं बस्तियों की ओर जाते हैं |
17.
...................... गाय अपने बछड़े के लिए परेशान है |
18.
चतरा जिले की ...................... घाटियाँ बड़ी डरावनी हैं |
19.
...................... हवा के स्पर्शन से मन उत्फुल्ल हो जाता है |
20.
बगैर शोषण के कोई ...................... नहीं होता |
21.
...................... रसीले आम देख लार टपकने लगी |
22.
उसकी ...................... कमर देख म्यूजिकल फिलिंग होती है |
23.
...................... चांदनी रातें बड़ी मनभावन होती है |
24.
कहो तो तेरी ...................... छुट्टी भी रद्द करवा दूँ |
2. संख्यावाचक विशेषण
“वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए,
‘संख्यावाचक विशेष’
कहलाता है |” जैसे –
उस मैदान में पांच लड़के खेल रहे हैं |
इस कक्षा के कुछ छात्र पिकनिक पर गए हैं |
उक्त
उदाहरणों में ‘पांच’ लड़कों की निश्चित संख्या एवं ‘कुछ’ छात्रों की अनिश्चित संख्या बता रहे
हैं |
निश्चित
संख्यावाचक विशेषण भी कई तरह के होते हैं –
1.
गणनावाचक : यह अपने विशेष्य की साधारण संख्या या गिनती बताता है | इसके भी दो
प्रभेद होते हैं –
(a) पूर्णांकबोधक/पूर्ण संख्यावाचक : इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता
है | जैसे –
चार छात्र, आठ लड़कियां .................
(b) अपूर्णांक बोधक/अपूर्ण संख्यावाचक : इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग
होता है | जैसे –
सवा रूपये, ढाई किमी. आदि |
2.
क्रमवाचक : यह विशेष्य की क्रमात्मक संख्या यानी विशेष्य के क्रम को बतलाता है |
इसका प्रयोग सदा एकवचन में होता है | जैसे –
पहली कक्षा, दूसरा लड़का, तीसरा आदमी, चौथी खिड़की आदि |
3.
आवृत्तिवाचक : यह विशेष्य में किसी इकाई की आवृत्ति की संख्या बतलाता है | जैसे –
दुगने छात्र, ढाई गुना लाभ आदि |
4. संग्रहवाचक
: यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बतलाता है | जैसे –
चारो आदमी,
आठो पुस्तकें आदि |
5.
समुदायवाचक : यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है | जैसे –
एक जोड़ी चप्पल, पांच दर्जन कॉपियां आदि |
प्रत्येक तीन घंटों पर यहाँ से एक गाड़ी
खुलती है |
पांच-पांच छात्रों के लिए एक कमरा है |
कभी-कभी
निश्चित संख्यावाची विशेषण भी अनिश्चयसूचक विशेषण के योग से अनिश्चित संख्यावाची
बन जाते हैं | जैसे –
उस सभा में लगभग हजार व्यक्ति थे |
आसपास
की दो निश्चित संख्याओं का सह प्रयोग भी दोनों के आसपास की अनिश्चित संख्या को
प्रकट करता है | जैसे –
मुझे हजार-दो-हजार रूपये दे दो |
कुछ
संख्याओं में ‘ओं’ जोड़ने से उनके बहुत्व यानी अनिश्चित
संख्या की प्रतीति होती है | जैसे –
सालों बाद उसका प्रवासी पति लौटा है |
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर करोड़ों लोगों पर
स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है |
3. परिमाणवाचक विशेषण
“वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित
अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाता है |”
इस
विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है | जैसे –
मुझे थोड़ा दूध चाहिए, बच्चे भूखे हैं |
बारात को खिलाने के लिए चार क्विंटल चावल
चाहिए |
उपर्युक्त
उदाहरणों में ‘थोड़ा’ अनिश्चित एवं ‘चार क्विंटल’ निश्चित मात्रा का बोधक है |
परिमाणवाचक
से भिन्न संज्ञा शब्द भी परिमाणवाचक की भांति प्रयुक्त होते हैं | जैसे –
चुल्लू भर पानी में डूब मरो |
2007 की बाढ़ में सड़कों पर छाती भर पानी हो
गया था |
संख्यावाचक
की तरह ही परिमाणवाचक में भी ‘ओं’ के योग से अनिश्चित बहुत्व प्रकट होता है | जैसे –
उस पर तो घड़ों पानी पड़ गया है |
4. सार्वनामिक विशेषण
हम जानते हैं कि विशेषण के प्रयोग से
विशेष्य का क्षेत्र सिमित हो जाता है | जैसे – ‘गाय’ कहने से उसके व्यापक क्षेत्र का बोध होता है; किन्तु ‘काली गाय’ कहने से गाय का क्षेत्र सीमित हो जाता
है | इसी तरह “जब किसी सर्वनाम का मौलिक या यौगिक रूप किसी संज्ञा के पहले आकर
उसके क्षेत्र को सीमित कर दे, तब वह सर्वनाम न रहकर ‘सार्वनामिक विशेषण’ बन जाता है |” जैसे –
यह गाय है | वह आदमी है |
तो
‘यह’ और ‘वह’ गाय एवं आदमी के विशेष्ण बन जाते हैं | इसी तरह अन्य उदाहरणों को
देखें –
1.
वह गदहा भागा जा रहा है |
2.
जैसा काम वैसा ही दाम,
यही तो नियम है |
3.
जितनी आमद है उतना ही खर्च भी करो |
वाक्यों
में विशेषण के स्थानों के आधार पर उन्हें दो भागों में बांटा गया है :
1.
सामान्य विशेषण : जिस विशेषण का प्रयोग विशेष्य के पहले हो, वह ‘सामान्य विशेषण’ कहलाता है | जैसे –
काली गाय बहुत सुंदर लगती है |
मेहनती आदमी कहीं भूखों नहीं मरता |
2.
विधेय विशेषण : जिस विशेषण का प्रयोग अपने विशेष्य के बाद हो, वह ‘विधेय विशेषण’ कहलाता है | जैसे –
वह गाय बहुत काली है | आदमी बड़ा मेहनती था |
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