महाभियोग क्या है और राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया क्या है ?
राष्ट्रपति पर महाभियोग (IMPEACHMENT )
हाल ही हुई अमेरिका में हुई हिसंक झड़प की घटनाओं के चलते वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग प्रस्ताव पास किया गया है| यह महाभियोग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर सत्ता के दुरूपयोग के आरोप लगने के कारण चलाया गया है |
राष्ट्रपति पर महाभियोग (IMPEACHMENT ) क्या है, और यह क्यों लगता है?
भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग क्यों और कैसे लग सकता है ?
उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर यह जानना हमारे सामान्य ज्ञान के लिए जरूरी है, तो आइये जानते हैं इनके उत्तर |
राष्ट्रपति पर महाभियोग क्या है, और यह क्यों लगता है?
महाभियोग :- सरल शब्दों में जब किसी अधिकारी या बड़े प्रशासक पर कोई अपराध साबित होता है तो उसे महाभियोग कहा जाता है | महाभियोग का जन्म इग्लैंड से हुआ है | इंग्लैंड में मुख्यतः महाभियोग 16वीं शताब्दी में वारेन हेस्टिंग्ज और लार्ड मेलविले पर लगा था |
इसी तरह USA (संयुक्त राज्य अमेरिका ) के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति और अन्य राज्य पदाधिकारी अपने पद से तभी हटाए जा सकते हैं जब उन पर लगाये गये आरोप सिद्ध हों |
सरल शब्दों में किसी भी देश में महाभियोग, खासकर राष्ट्रपति पर महाभियोग तभी चलाया जा सकता है जब उस पर लगे आरोप सत्य साबित हों | ये आरोप देशद्रोह, घूस या अन्य कारण जो संविधान का उल्लंघन करते हो, के कारण चलाया जाता है |
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भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग क्यों और कैसे लग सकता है ?
जैसा की हम जानते हैं कि भारत का संविधान विभिन्न देशों के संविधान से मिलकर बना है, उसी तरह राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रस्ताव पास करने की प्रक्रिया भी दुसरे देश से ली गई है | भारत में महाभियोग की प्रक्रिया को USA के संविधान से लिया गया है | संविधान में इसका उल्लेख अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में मिलता है |
भारत में महाभियोग के आरोप संसद के किसी भी सदन में प्रारंभ किये जा सकते हैं | इन आरोपों पर सदन के एक चौथाई सदस्यों (जिस सदन में आरोप लगाए गये हैं ) के हस्ताक्षर होने चाहियें और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना चाहिए | महाभियोग का प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के बाद यह दुसरे सदन में भेजा जाता है, जिसे इन आरोपों की जांच होगी | राष्ट्रपति को इसमें उपस्थित होने तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का अधिकार होगा | अगर दुसरे सदन में भी आरोप सिद्ध होते हैं और महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करता है तो राष्ट्रपति को विधेयक पारित होने की तिथि से उसके पद से हटाना होगा |
राष्ट्रपति के महाभियोग होने के कारण रिक्त पड़े पद को कार्यवाहक के रूप में उप राष्ट्रपति नियंत्रित करेगा |
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