कारक किसे कहते हैं व् कारक की कुल संख्या कितनी है
कारक
कारक किसे कहते हैं |
कारक किसे कहते हैं?
“जो
क्रिया की उत्पत्ति में सहायक हो या जो किसी शब्द का क्रिया से संबंध बताए वह
‘कारक’ है |”
जैसे
– माइकल जैक्सन ने पॉप संगीत को काफी ऊंचाई पर पहुंचाया |
यहाँ
‘पहुंचाना’ क्रिया का अन्य पदों माइकल जैक्सन, पॉप संगीत, ऊंचाई आदि से संबंध है | वाक्य में
‘ने’, ‘को’ और ‘पर’ का
भी प्रयोग हुआ है | इसे कारक-चिह्न या परसर्ग या विभक्ति-चिह्न कहते हैं | यानी
वाक्य में कारकीय संबंधों को बताने वाले चिह्नों को कारक-चिह्न अथवा परसर्ग कहते
हैं |
हिंदी
में कहीं-कहीं कारकीय चिह्न लुप्त रहते हैं | जैसे –
घोड़ा
दौड़ रहा था | वह पुस्तक पढ़ता है | आदि |
यहाँ
‘घोड़े’ ‘वह’ और ‘पुस्तक’ के साथ कारक-चिह्न नहीं है | ऐसे स्थलों पर शून्य चिह्न माना जाता
है | यदि ऐसा लिखा जाए : घोड़ा ने दौड़ रहा था |
उसने (वह + ने) पुस्तक को पढ़ता है |
तो
वाक्य अशुद्ध हो जाएंगें; क्योंकि प्रथम वाक्य की क्रिया अपूर्ण भूत की है |
अपूर्णभूत में ‘कर्त्ता’ के
साथ ने चिह्न वर्जित है | दूसरे वाक्य में क्रिया वर्तमान काल की है | इसमें भी
कर्त्ता के साथ ने चिह्न नहीं आएगा | अब यदि ‘वह पुस्तक को पढ़ता है’ और ‘वह पुस्तक पढ़ता है’ में तुलना करें तो स्पष्टतया लगता है
कि प्रथम वाक्य में ‘को’ का
प्रयोग अतिरिक्त या निरर्थक हैं : क्योंकि वगैर ‘को’ के भी वाक्य वही अर्थ देता
है | हाँ, कहीं-कहीं ‘को’ के प्रयोग करने से अर्थ बदल जाया करता
है | जैसे –
वह
कुत्ता मारता है : जान से मारना
वह कुत्ते
को मारता है : पीटना
हिंदी
भाषा में कारकों की कुल संख्या आठ मानी गई है, जो निम्नलिखित हैं –
कारक - परसर्ग/विभक्ति
1.
कर्त्ता कारक - शून्य, ने
(को, से, द्वारा)
2.
कर्म कारक - शून्य, को
3.
करण कारक - से, द्वारा (साधन या माध्यम)
4.
सम्प्रदान कारक - को, के
लिए
5.
अपादान कारक - से (अलग होने का बोध)
6.
संबंध कारक - का-के-की, ना-ने-नी,
रा-रे-री
7.
अधिकरण कारक - में, पर
8.
संबोधन कारक - हे, हो, अरे, अजी,
.........
कर्त्ता
कारक
“जो
क्रिया का सम्पादन करें,
‘कर्त्ता कारक’ कहलाता है |”
अर्थात
कर्त्ता कारक क्रिया (काम) करता है | जैसे –
आतंकवादियों ने पूरे विश्व में आतंक मचा रखा
है |
इस
वाक्य में ‘आतंक मचाना’
क्रिया है, जिसका सम्पादक ‘आतंकवादी’ है यानी कर्त्ता कारक ‘आतंकवादी’ है |
कर्त्ता
कारक का परसर्ग ‘शून्य’ और ‘ने’ है | जहाँ ‘ने’ चिह्न लुप्त रहता है, वहां कर्त्ता का शून्य चिह्न माना जाता है | जैसे – पेड़-पौधे हमें
ऑक्सीजन देते हैं |
यहाँ पेड़-पौधे में ‘शून्य चिह्न’ है |
कर्त्ता
कारक में ‘शून्य’ और ‘ने’ के अलावा ‘को’ और से/द्वारा चिह्न भी लगाया जाता है | जैसे –
उनको पढ़ना चाहिए | उनसे पढ़ा जाता है |
उनके द्वारा पढ़ा जाता है |
कर्त्ता
के ‘ने’ चिह्न का प्रयोग :
सकर्मक
क्रिया रहने पर सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्णभूत,
संदिग्ध भूत एवं हेतुहेतुमद भूत में कर्त्ता के आगे ‘ने’ चिह्न आता है | जैसे –
मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना | (सामान्य भूत)
मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना है | (आ. भूत)
मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना था | (पूर्ण भूत)
मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना होगा | (सं. भूत)
मैंने तो आपको कभी गैर नहीं माना होता | (हेतु.... भूत)
नीचे
लिखे वाक्यों के कर्त्ता कारकों में ‘ने’ चिह्न लगाकर वाक्यों का पुनर्गठन करें :
1. मैं
उसे इशारा किया; मगर वह बोलता ही चला गया |
2.
मैं उसे एकबार पढ़ना शुरू किया तो पढ़ता ही गया |
3.
वह कहा था कि उसने चोरी नहीं की है |
4.
वह देखा कि पूरा पुल बाढ़ में डूबा है |
5.
आंधी अपना विकराल रूप धारण किया |
6.
दुश्मन के सैनिक देखा और गोलियाँ बरसाने लगा |
7.
मैं तो आपको तभी बताया था |
8.
तुम इससे कुछ अलग सोचा |
9.
जिस समय आप आवाज दी,
मैं तैयार हो चुका था |
10.
सच-सच बताओ, तुम उसे किस बात पर पीटे ?
11.
पहले वह मुझे गाली दिया फिर मैं |
12.
मैं उसे बार-बार समझाया |
13.
यह फिल्म मैं कई बार देखी है |
14.
पाकिस्तान विश्वकप जीता |
15.
इस नौकरी से पहले वह तीन नौकरियां छोड़ा है |
16.
गार्ड हरी झंडी दिखाया और गाड़ी चल पड़ी |
17.
वह जाने से पहले भोजन किया था |
18.
आप मुझसे पूछे ही नहीं इसलिए मैं नहीं बताया |
19.
रोगी पानी माँगा, मगर नर्स अनसुनी कर दी |
20.
उस दिन पिताजी मुझसे पूछे ही नहीं |
‘भूलना’ क्रिया के कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता | जैसे –
वह तो भूले थे हमें, हम भी उन्हें भूल गए |
आप अपना संकल्प न भूले होंगे |
‘लाना’ क्रिया भी अपने साथ कर्त्ता के ‘ने’ चिह्न का निषेध करती है | लाना – ‘ले’ और ‘आना’ के संयोग से बनी है | पहले इसका रूप
‘ल्याना’ था, बाद में ‘लाना’ हो गया | चूंकि इसका अंतिम खंड अकर्मक है, इसलिए इसका प्रयोग होने पर कर्त्ता
कारक में ‘ने’ चिह्न नहीं आता है | जैसे –
पिताजी बच्चों के लिए मिठाई लाए |
श्यामू पीछे हो लिया |
बोलना, समझना, बकना,
जनना (जन्म देना), सोचना और पुकारना क्रियाओं के कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न विकल्प से आता है | जैसे –
महाराज बोले | (प्रेमसागर)
वह झूठ बोला | (पं. अम्बिका प्र. बाजपेयी)
रामचंद्रजी ने झूठ नहीं बोला | (पं. रामजी लाल शर्मा)
उनहोंने कभी झूठ नहीं बोला | (बाल-विनोद)
उसने कई बोलियाँ बोलीं | (पं. अ. प्र. बाजपेयी)
हम तुम्हारी बात नहीं समझे | (भट्ट जी)
मैनें आपकी बात नहीं समझी | (भट्ट
जी)
हम न समझे कि यह आना है या जाना तेरा | (भट्ट जी)
तुम बहुत बके | (पं. अंबिकादत्त)
तुमने बहुत बका | (पं. अंबिकादत्त)
भैंस पाड़ा जनी है | (पं.
अंबिकादत्त)
भैंस ने पाड़ा जना | (पं.
अबिकादत्त)
बकरी तीन बच्चे जनी | (पं.
केशवराम भट्ट)
चित्रांगदा ने तुझे जना | (लाला
भगवान दीन)
आमंत्रित कर सूर्यदेव को मैंने मन में, मंत्रशक्ति से तुझे जना था पिता-भवन में | (मैथिलीशरण
गुप्त)
उसने यह बात सोची | (पं.
केशवराम भट्ट)
वह यह बात सोचा | (पं.
केशवराम भट्ट)
पूतना पुकारी | (राजा
शिवप्रसाद)
चोबदार पुकारा – करीम खां निगाह रू-ब-रू | (राजा शिवप्रसाद)
सत्पुरुषों ने जिसको बारंबार पुकारा, अच्छा है | (पं.
केशवराम भट्ट)
जिसने गली में तुमको पुकारा | (पं.
केशवराम भट्ट)
नोट
: पं. केशवराम भट्ट ने स्पष्ट कहा है कि कर्म लुप्त रहने पर ‘ने’ भी लुप्त रहता है, नहीं तो नहीं | बात ऐसी है कि हमारे
विद्वानों और साहित्यकारों ने कर्म रहने पर भी कहीं तो कर्त्ता के साथ ‘ने’ का
प्रयोग किया है कहीं नहीं किया |
सजातीय
कर्म लेने के कारण जो अकर्मक क्रिया सकर्मक हो जाती है, उसके कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न नहीं आता; किन्तु कोई-कोई ऐसी कुछ क्रियाओं के
साथ भूतकाल के अपूर्णभूत को छोड़ अन्य भेड़ों में लाते भी हैं | जैसे –
सिपाही कई लड़ाइयाँ लड़ा | (पं. कामता प्र गुरु)
वह शेर की बैठक बैठा | (पं.
कामता प्र. गुरु)
मैं क्रिकेट खेला | (पं.
अ. दत्त व्यास)
उसने टेढ़ी चाल चली | (पं.
अंबिका प्र. बाजपेयी)
मैंने बड़े खेल खेले | (पं. अंबिका प्र. बाजपेयी)
उसने चौपड़ खेली | (पं अंबिका प्र. वाजपयी)
नहाना, थूकना, छींकना और खांसना : ये अकर्मक क्रियाएं हैं फिर भी अपने साथ कर्त्ता
को ‘ने’ चिह्न लाने के लिए बाध्य करती है |
यानी इन क्रियाओं के प्रयोग होने पर भूतकाल के उक्त भेदों में कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग अवश्यमेव होता है |
जैसे –
मैंने सर्दी के कारण छींका है |
आज आपने नहाया क्यों नहीं ?
दादाजी ने जोर से खांसा था, तभी तो मम्मी अंदर चली गई |
यह जहाँ-तहाँ किसने थूका है ?
उक्त
चारों अकर्मक क्रियाओं के अलावा अन्य किसी अकर्मक क्रिया के रहने पर कर्त्ता के
साथ ‘ने’ चिह्न कभी नहीं आता |
जैसे – वह अभी-अभी आया है |
मैं वहां कई बार गया हूँ |
बच्चा अभी तो सोया था |
संयुक्त
क्रिया के सभी खंड सकर्मक रहने की स्थिति में भूतकाल के उक्त भेदों में कर्त्ता के
साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग होता है | जैसे –
सालिम अली ने पक्षियों को देख लिया था |
मैनें इस प्रश्न का उत्तर दे दिया है |
परन्तु, नित्यताबोधक सकर्मक संयुक्त क्रिया का
कर्त्ता ‘ने’ चिह्न कभी नहीं लाता है | जैसे –
वे बार-बार गिना किये, हाथ कुछ न लगा | (भारतेंदु)
वह चित्र-सी चुपचाप खड़ी सुना की | (पं. अ. व्यास)
इस दृश्य को पांडव सामने बैठे देखा किए | (बाल भारत)
हजरत भी कल कहेंगे कि हम क्या किए | (पं. केशवराम भट्ट)
यदि
संयुक्त अकर्मक क्रिया का अंतिम खंड ‘डालना’ हो तो उक्त भूतकालों में कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न अवश्य आता है ? किन्तु यदि
अंतिम खंड ‘देना’ हो तो ‘ने’ चिह्न विकल्प से आता है | जैसे –
उसने रातभर जाग डाला | (पं. अ. दत्त व्यास)
जब मानसिंह चढ़ आए तब पठानों की सेना चल दी | (पं. केशवराम भट्ट)
श्रीकृष्ण मथुरा चल दिए | (प्रेम सागर)
मैं अपना-सा मुंह लेकर चल दिया | (विद्यार्थी)
मुस्करा
देना, हंस देना, रो देना : इन क्रियाओं के कर्त्ता ‘ने’ चिह्न निश्चित रूप से लाते हैं | जैसे
–
मोहन ने नारद को देखकर मुस्करा दिया |
आकर के मेरी कब्र पर तुमने जो मुस्करा दिया
|
बिजली छिटक के गिर पड़ी और सारा कफन जला दिया
| (हबीब पेंटर)
मुकद्दर
ने रो दिया हाथ मलकर | (पं. केशवराम
भट्ट)
संकेत
में संयुक्त क्रिया के अंत में ‘होना’ का हेतुहेतुमदभूत रूप ‘ने’ चिह्न के साथ भी प्रयुक्त होता है | जैसे –
यदि संजीव ने पढ़ा होता तो अवश्य सफल होता है
|
यदि भाई जी आए थे तो आपने रोक लिया होता |
प्रेरणार्थक
रूप बन जाने पर सभी क्रियाएं सकर्मक हो जाती हैं और सभी प्रेरणार्थक क्रियाओं के
रहने पर सामान्य, आसन्न, पूर्ण,
संदिग्ध आदि भूत्कालों में कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न आता है | जैसे –
राजू श्रीवास्तव ने सबों को हँसाया | माँ ने पत्र भिजवाया है |
पुत्र ने प्रणाम कहलवाया है | अच्छे अंकों ने राहुल को सम्मान दिलाया |
कठिन मेहनत ने हर्ष को डॉक्टर बनाया था |
वर्तमान
एवं भविष्यत कालों में कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न कभी नहीं आता | जैसे –
मैं भी वह उपन्यास पढ़ूंगा | तुम वह नाटक-संग्रह पढ़ते होंगे |
सालिम अली पक्षियों को पक्षी की निगाह से
देखते हैं |
अपूर्ण
भूतकाल की क्रिया रहने पर कर्त्ता के साथ ‘ने’ चिह्न कभी नहीं आता है | जैसे –
वह तरुमित्रा का प्रतिनिधित्व कर रहा था |
जब मि. ग्लाड चलते थे, तब पेड़े-पौधे तक सहम जाते थे |
पूरी लंका जल रही थी और विभीषण भजन कर रहे
थे |
‘चुकना’ क्रिया रहने पर भूतकाल में भी कर्त्ता
के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता है | जैसे –
मैं भात खा चुका/हूँ/था/ होता | वह देख चुका
था |
सलोनी यह संग्रह पढ़ चुकी होगी
0 Response to "कारक किसे कहते हैं व् कारक की कुल संख्या कितनी है "
एक टिप्पणी भेजें