प्लूटो, धूमकेतु और उल्का पिंड क्या हैं

 बौने ग्रह:

यम (Pluto): 

Pluto 


Q. प्लूटो एक बौना ग्रह क्यों है (why is pluto a dwarf planet) ? या (or)  प्लूटो अब ग्रह क्यों नहीं है (why is Pluto no longer a planet) ?

IAU ने इसका नया नाम  1,34,340 रखा है | (क्लाड टाम्वो ने 1930 ई. में खोज की ) | अगस्त 2006 ई. में IAU की प्राग सम्मेलन में ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम (Pluto) को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है |

यम को गढ़ की श्रेणी से निकाले जाने का कारण है - 

1. आकार में चन्द्रमा से छोटा होना 

2. इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना 

3. वरुण की कक्षा को काटना 


सेरस (Ceres) : इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री 'पियाजी' ने किया था |

IAU की नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है | इसे संख्या 1 से जाना जाएगा | इसका व्यास बुध के व्यास के 1/5 भाग है |नोट: अन्य बौने ग्रह हैं 'चेरौन' एवं 2003 UB 313 (इरिस) |

लघु सौरमंडलीय पिंड :

क्षुद्र ग्रह (Asteroids): 

Q. क्षुद्रग्रह किन ग्रहों की कक्षाओं के बीच में पाए जाते हैं (Asteroids are found between the orbits of which planets?)


मंगल एवं वृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड है, जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, उसे 'क्षुद्र ग्रह' कहते हैं | खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है | क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है , तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त (लोनार झील-महाराष्ट्र) बनता है |

फोर वेस्टा - एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है |


धूमकेतु (Comet):

Q. धूमकेतु किसे कहते हैं (What is comet? )

सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं, जो 'धूमकेतु' या 'पुच्छल तारे' कहलाते हैं | यह गैस एवं धूल का संग्रह है, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूंछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं | धूमकेतु केवल तब दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की और अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य-किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती है | धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर दिखाई देता है |

Q. धूमकेतु तारा कब दिखाई देता है (When is the comet star visible)

हैले नामक धूमकेतु (halley's comet) का परिक्रमण काल '76 वर्ष है, यह अंतिम बार 1986 ई. में दिखाई दिया था | अगली बार वह 1986+76 = 2062 में दिखाई देगा |
धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है |

उल्का (Meteros):

उल्काएं प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में देखते हैं जो आकाश के क्षणभर के लिए दमकती है और लुप्त हो जाती है | उल्काएं क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गये धूल के कण होते हैं |

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