सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण और अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा क्या है
सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण और अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा क्या है :-
सूर्यग्रहण (Solar Eclipse):
जब कभी दिन के समय सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाने से सूर्य की चमकती सतह चन्द्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ने लगती है तो इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं | जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है, तो उसे 'आंशिक सूर्यग्रहण' और जब पूरा सूर्य ही कुछ क्षणों के लिए छिप जाता है, तो उसे 'पूर्ण सूर्यग्रहण' कहते हैं | पूर्ण सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या (New Moon) को ही होता है |
सूर्यग्रहण किसे कहते हैं |
चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse):
जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की पूरी रौशनी चन्द्रमा पर नहीं पड़ती है , इसे 'चन्द्रग्रहण' कहते हैं | चंद्रग्रहण हमेशा 'पूर्णिमा' (Fool Moon) की रात्रि में ही होता है | प्रत्येक पूर्णिमा को चंद्रग्रहण नहीं होता है, क्यूंकि चन्द्रमा और पृथ्वी के कक्षा पथ में 5° का अंतर होता है जिसके कारण चन्द्रमा कभी पृथ्वी के उपर से या नीचे से गुजर जाता है | एक वर्ष में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपच्छाया क्षेत्र से चन्द्रमा गुजरता है तभी चन्द्रग्रहण लगता है | सूर्यग्रहण के समान चन्द्रग्रहण भी आंशिक अथवा पूर्ण हो सकता है |
चंद्रग्रहण किसे कहते हैं |
समय का निर्धारण (time offset) :
एक देशान्तर का अंतर होने पर समय में 4 मिनट का अंतर होता है | चूँकि पृथ्वी पश्चिम से पूरब की ओर घूमती है | फलत: ग्रीनवीच से पूरब की और बढ़ने पर प्रत्येक देशान्तर पर समय 4 मिनट बढ़ता जाता है तथा पश्चिम जाने पर प्रत्येक देशान्तर पर समय 4 मिनट घटता जाता है |
नोट: वाशिंगटन डी.सी. में 22 अक्टूबर, 1884 ई. को हुई एक अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठी में लंदन के पूर्व में ग्रीनविच नामक स्थान पर स्थित रॉयल वेधशाला से गुजरने वाली देशान्तर रेखा को प्रधान मध्याह्न माना गया और इसे ग्रीनविच मध्याह्न का नाम दिया गया | इस समय ग्रीनविच मध्याह्न को शून्य मानकर बाकी देशान्तरो की गणना की जाती है | समय का निर्धारण इसी को आधार मानकर किया जाता है |
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International date line) :
180° देशान्तर को 'अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा, कहा जाता है, क्यूंकि इस रेखा के दोनों और तिथियों में एक दिन का अंतर होता है | ग्रीनविच देशांतर तथा 180° देशांतर के बीच 24 घंटे का अंतर होता है , 0° से 180° पूर्व की ओर जाने पर 12 घंटे की अ अवधि लगती है एवं यह ग्रीनविच समय से 12 घंटे आगे होता है | इसी प्रकार 0° से 180° पश्चिम की ओर जाने पर ग्रीनविच समय में 12 घंटे पीछे का समय मिलता है | यही कारण है कि 180° पूर्व एवं पश्चिम देशान्तर के कुल 24 घंटे अर्थात एक दिन-रात का अंतर होता है | उदाहरण के लिए यदि ग्रीनविच पर वृहस्पतिवार, 25 सितम्बर, 2003 को दोपहर के 12 बजें हो तो 180° पूर्वी देशांतर पर 25 सितम्बर 2003 की मध्य रात्री होगी, जबकि 180° पश्चिमी देशांतर पर 24 सितम्बर, 2003 की मध्य रात्री होगी | इसका अर्थ यह है कि 180° देशान्तर के दोनों और दो अलग-अलग तिथियाँ पाई जाती है | जब इस रेखा को पूर्व की और लांघते है तो एक दिन दोहराया जाता है और इसे पश्चिम की और लांघते है तो एक दिन कम किया जाता है |
इसे इस प्रकार याद किया जा सकता है :
''Travel to east, one day more to feast.
Travel to west, one day less".
वास्तव में, अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पूर्णतया 180° देशान्तर का अनुसरण नहीं करती | यह 180° देशान्तर के दाएँ या बाएँ मुड़ जाती है ताकि स्थलीय भागों का विभाजन न हो और लोगों को तिथि के बारे में भ्रम न हो | साइबेरिया को विभाजित होने से बचाने एवं साबेरिया को अलास्का से अलग करने के लिए 75° उत्तरी अक्षांश पर यह पूर्व की ओर मोड़ी गई है | बेरिंग सागर में यह रेखा पश्चिम की और मोड़ी गई | फिजी द्वीप समूह एवं न्यूजीलैंड के विभिन्न भागों को एक साथ रखने के लिए वह रेखा दक्षिणी प्रशांत महासागर में पूर्व दिशा की ओर मोड़ी गई है | '' अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा आर्कटिक सागर, चुकी सागर, बेरिंग स्ट्रेट व प्रशांत महासागर से गुजरती है |
1884 ई. में वांशिगटन में सम्पन्न इन्टरनेशनल मेरिडियन कांफ्रेस में 180 वें याम्योत्तर को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निर्धारित किया गया है | ऐसा इसलिए किया गया ताकि विभिन्न देशों के मध्य यात्रियों को कुछ स्थानों पर 1 दिन का अंतर होने के कारण परेशानी न हो |
नोट: बेरिंग जलसंधि अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के समानान्तर स्थित है |
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