सूर्यातप क्या होता है और वायुमंडल गर्म कैसे होता है

 सूर्यातप(Insolation):-

-सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर विकीर्ण उर्जा को सूर्यातप  कहते हैं यह उर्जा लघु तरंगों के रूप में सूर्य से पृथ्वी पर पहुंचती हैं

👉 वायुमंडल की बाहरी सीमा पर सूर्य से प्रति मिनट प्रति वर्ग सेमी. पर 1.94 कैलोरी ऊष्मा प्राप्त होती हैं

👉 किसी भी सतह को प्राप्त होने वाली सूर्यातप की मात्रा एवं उसी स्थल से परावर्तित की जाने वाली सूर्यातप की मात्रा के बीच का अनुपात एल्बिडो कहलाता है सौर विकिरण का यह परावर्तन लघु तरंगों में ही होता हैं

 👉 वायुमंडल की बाह्य सीमा पर प्राप्त होने वाले सौर विकिरण का लगभग 32% भाग बादलों की सतह से परावर्तित तथा धुल -कणों से प्रकिर्णित होकर अन्तरिक्ष में लौट जाता है सूर्यातप का लगभग 2% भाग धरातल से परावर्तित होकर अन्तरिक्ष में वापस चला जाता है इस प्रकार सौर विकिरण का 34 % भाग धरातल को गर्म करने के काम में नहीं आता 

👉  पूर्ण मेघाच्छादन के समय सूर्य के प्रकाश में कमी का मूल कारण परावर्तन होता है न की अवशोषण

👉   पृथ्वी सौर्यिक विकिरण द्वारा प्रसारित उर्जा का 51% भाग प्राप्त करती हैं

👉  वायुमंडल सौर्यिक उर्जा का केवल 14 % ही ग्रहण कर पाता हैं

👉 👉  "वायुमंडल को गर्म तथा ठंडा करने की विधियाँ "

 वायुमंडल गर्म तथा ठंडा निम्न विधियों से होता हैं

 1.विकिरण(Radiation):

                                    किसी प्रदार्थ को ऊष्मा तरंगो के संचार द्वारा सीधे गर्म होने को विकिरण कहते हैं उदाहरणतया , सूर्य से प्राप्त होने वाली किरणों से पृथ्वी तथा उसका वायुमंडल गर्म होते हैं यही एकमात्र ऐसी प्रक्रिया है जिससे ऊष्मा बिना किसी माध्यम के शून्य से होकर भी यात्रा कर सकती है सूर्य से आने वाली किरणें लघु तरंगों वाली होती हैं जो वायुमंडल को बिना अधिक गर्म किये ही उसे पार करके पृथ्वी तक पहुंच जाती है पृथ्वी पर पंहुची हुई किरणों का बहुत सा भाग पुन: वायुमंडल में चला जाता है इसे भौमिक विकिरण (Terrestrial Radiation)कहते हैं

 भौमिक विकिरण अधिक लम्बी तरंगों वाली किरण होती है जिसेवायुमंडल सुगमता से अवशोषित कर लेता है अत: वायुमंडल सूर्य से आने वाले सौर विकिरण की अपेक्षा भौमिक विकिरण से अधिक गर्म होता हैं

 2.संचालन (Conduction):

                                        जब असमान ताप वाली दो वस्तुएं एक दुसरे के सम्पर्क में आती हैं तो अधिक तापमान वाली वस्तु से कम तापमान वाली वस्तु की और ऊष्मा प्रवाहित होती है ऊष्मा का यह प्रवाह तब तक चलता रहता है जब तक दोनों वस्तुओं का तापमान एक जैसा ना हो जाए वायु उष्मा की कुचालक है अत: संचालन प्रक्रिया वायुमंडल को गर्म करने के लिए सबसे कम महत्वपूर्ण है इससे वायुमंडल की केवल निचली परतें ही गर्म होती हैं

 3.संवहन(Convection):

                                     किसी गैसीय अथवा तरल पदार्थ के एक भाग से दुसरे भाग की ओर उसके अणुओं द्वारा ऊष्मा के संचार को संवहन कहते हैं यह संचार गैसीय तथा तरल पदार्थों में इसलिए होता है क्यूंकि उनके अणुओं के बीच का सम्बन्ध कमजोर होता है यह प्रक्रिया ठोस पदार्थों में नहीं होती है जब वायुमंडल की निचली परत भौमिक विकिरण अथवा संचालन से गर्म हो जाती है तो उसकी वायु फैलती है जिससे उसका घनत्व कम हो जाता है घनत्व कम होने से वह हल्की हो जाती है और उपर की उठती है इस प्रकार वह वायु निचली परतों की ऊष्मा को उपर ले जाती है ऊपर की ठंडी वायु उसका स्थान लेने के लिए नीचे आती है और कुछ देर वाद वह भी गर्म हो जाती है इस प्रकार संवहन प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल क्रमश: नीचे से ऊपर गर्म होता है वायुमंडल गर्म होने में यह मुख्य भूमिका निभाता हैं

 4.अभिवहन(Advection): 

                                        इस प्रक्रिया में ऊष्मा का क्षैतिज दिशा में स्थानान्तरण होता है गर्म वायु राशियाँ जब ठन्डे इलाकों में जाती तो उन्हें गर्म कर देती है इससे ऊष्मा का संचार निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों तक भी होता है वायु द्वारा संचालित समुद्री धाराएँ भी उष्ण कटिबन्धों से ध्रुवीय क्षेत्रों में ऊष्मा का संचार करती हैं👉

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