जाने क्या है जम्मू और कश्मीर का इतिहास,क्यूँ है विवाद,और धारा 370 और 35A
बुधवार, 7 अगस्त 2019
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जम्मू और कश्मीर भारत के सबसे उत्तर में स्थित 'केन्द्र-शासित प्रदेश' है पाकिस्तान इसके उत्तरी इलाके ("पाक अधिकृत कश्मीर") के हिस्सों पर क़ाबिज़ है, जबकि चीन ने अक्साई चिन पर कब्ज़ा किया हुआ है।भारत इन कब्ज़ों को अवैध मानता है जबकि पाकिस्तान भारतीय जम्मू और कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है।प्राचीनकाल में कश्मीर (महर्षि कश्यप के नाम पर) हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है। मध्ययुग में मुस्लिम आक्रान्ता कश्मीर पर क़ाबिज़ हो गये।आज़ादी के समय कश्मीर में पाकिस्तान ने घुसपैठ करके कश्मीर के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया। बचा हिस्सा भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का अंग बना।
विवाद :-भारत की स्वतन्त्रता के समय महाराज हरि सिंह यहाँ के शासक थे, जो अपनी रियासत को स्वतन्त्र राज्य रखना चाहते थे।शेख़ अब्दुल्ला के नेतृत्व में मुस्लिम कॉन्फ़्रेंस (बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस) कश्मीर की मुख्य राजनैतिक पार्टी थी। कश्मीरी पंडित, शेख़ अब्दुल्ला और राज्य के ज़्यादातर मुसल्मान कश्मीर का भारत में ही विलय चाहते थे (क्योंकि भारत धर्मनिर्पेक्ष है)।पर पाकिस्तान को यह पसंद नहीं था इसीलिए 1947-48 में पाकिस्तान ने कबाइली और अपनी छद्म सेना से कश्मीर में आक्रमण करवाया और क़ाफ़ी हिस्सा हथिया लिया।पाकिस्तान की इस घुसपैठ से लड़ने के लिए महाराजा हरी सिंह ने भारत सरकार ने उनकी मदद के लिए गुहार लगाई और महाराजा हरि सिंह ने शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से भारत में कुछ शर्तों के तहत विलय कर दिया। पर महाराजा हरी सिंह के द्वारा भारत में विलय होने पर कुछ शर्ते रखीं जो संविधान कीधारा 370 और अनुच्छेद 35A वर्णित हैं | भारतीय सेना ने जब राज्य का काफ़ी हिस्सा बचा लिया था, तब इस विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाया गया। पर भारत इसे केवल द्विपक्षीय मामला मानता है और इसे शिमला समझौता और लाहौर समझौते की तरह ही इसका समाधान करना चाहते हैं |
धारा 370 और अनुच्छेद 35A
यह धारा संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को जोड़ी गई.
370 के मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. अन्य किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है.
जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग और वहां के नागरिक दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) रखते हैं.
यहाँ वित्तीय आपातकाल के लिए संविधान की धारा 360 लागू नहीं होती है.
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है|
धारा 370 होने के कारण यहाँ सर्वोच्च न्यायालय के सभी आदेश लागु नहीं होते |
अनुच्छेद 35A के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक जम्मू और कश्मीर में सम्पति नहीं खरीद सकता है | केवल जम्मू और कश्मीर का ही नागरिक वहां सम्पति खरीद सकता है |
विवाद :-भारत की स्वतन्त्रता के समय महाराज हरि सिंह यहाँ के शासक थे, जो अपनी रियासत को स्वतन्त्र राज्य रखना चाहते थे।शेख़ अब्दुल्ला के नेतृत्व में मुस्लिम कॉन्फ़्रेंस (बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस) कश्मीर की मुख्य राजनैतिक पार्टी थी। कश्मीरी पंडित, शेख़ अब्दुल्ला और राज्य के ज़्यादातर मुसल्मान कश्मीर का भारत में ही विलय चाहते थे (क्योंकि भारत धर्मनिर्पेक्ष है)।पर पाकिस्तान को यह पसंद नहीं था इसीलिए 1947-48 में पाकिस्तान ने कबाइली और अपनी छद्म सेना से कश्मीर में आक्रमण करवाया और क़ाफ़ी हिस्सा हथिया लिया।पाकिस्तान की इस घुसपैठ से लड़ने के लिए महाराजा हरी सिंह ने भारत सरकार ने उनकी मदद के लिए गुहार लगाई और महाराजा हरि सिंह ने शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से भारत में कुछ शर्तों के तहत विलय कर दिया। पर महाराजा हरी सिंह के द्वारा भारत में विलय होने पर कुछ शर्ते रखीं जो संविधान कीधारा 370 और अनुच्छेद 35A वर्णित हैं | भारतीय सेना ने जब राज्य का काफ़ी हिस्सा बचा लिया था, तब इस विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाया गया। पर भारत इसे केवल द्विपक्षीय मामला मानता है और इसे शिमला समझौता और लाहौर समझौते की तरह ही इसका समाधान करना चाहते हैं |
धारा 370 और अनुच्छेद 35A
यह धारा संविधान में 17 अक्टूबर 1949 को जोड़ी गई.
370 के मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है. अन्य किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती है.
जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग और वहां के नागरिक दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) रखते हैं.
यहाँ वित्तीय आपातकाल के लिए संविधान की धारा 360 लागू नहीं होती है.
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है|
धारा 370 होने के कारण यहाँ सर्वोच्च न्यायालय के सभी आदेश लागु नहीं होते |
अनुच्छेद 35A के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक जम्मू और कश्मीर में सम्पति नहीं खरीद सकता है | केवल जम्मू और कश्मीर का ही नागरिक वहां सम्पति खरीद सकता है |
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