हिंदी व्याकरण - विशेषण क्या है व उसके प्रकार
रविवार, 3 मई 2020
Add Comment
पिछले क्रम में हमने विशेषण के बारे में व उसके प्रथम प्रकार के बार में जाना ,अब विशेषण के अन्य प्रकार निम्न हैं :-
यह भी जाने :- विशेषण क्या है व इसके प्रकार :-
2. संख्यावाचक विशेषण
“वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेष’ कहलाता है |” जैसे –
उस मैदान में पांच लड़के खेल रहे हैं |
इस कक्षा के कुछ छात्र पिकनिक पर गए हैं |
उक्त उदाहरणों में ‘पांच’ लड़कों की निश्चित संख्या एवं ‘कुछ’ छात्रों की अनिश्चित संख्या बता रहे हैं |
निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी कई तरह के होते हैं –
1. गणनावाचक : यह अपने विशेष्य की साधारण संख्या या गिनती बताता है | इसके भी दो प्रभेद होते हैं –
(a) पूर्णांकबोधक/पूर्ण संख्यावाचक : इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता है | जैसे –
चार छात्र, आठ लड़कियां .................
(b) अपूर्णांक बोधक/अपूर्ण संख्यावाचक : इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग होता है | जैसे –
सवा रूपये, ढाई किमी. आदि |
2. क्रमवाचक : यह विशेष्य की क्रमात्मक संख्या यानी विशेष्य के क्रम को बतलाता है | इसका प्रयोग सदा एकवचन में होता है | जैसे –
पहली कक्षा, दूसरा लड़का, तीसरा आदमी, चौथी खिड़की आदि |
3. आवृत्तिवाचक : यह विशेष्य में किसी इकाई की आवृत्ति की संख्या बतलाता है | जैसे –
दुगने छात्र, ढाई गुना लाभ आदि |
4. संग्रहवाचक : यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बतलाता है | जैसे –
चारो आदमी, आठो पुस्तकें आदि |
5. समुदायवाचक : यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है | जैसे –
एक जोड़ी चप्पल, पांच दर्जन कॉपियां आदि |
6. वीप्सावाचक : व्यापकता का बोध कराने वाली संख्या को वीप्सावाचक कहते हैं | यह दो प्रकार से बनती है – संख्या के पूर्व प्रति, फी, हर, प्रत्येक इनमें से किसी के पूर्व प्रयोग से या संख्या के द्वित्व से | जैसे –
प्रत्येक तीन घंटों पर यहाँ से एक गाड़ी खुलती है |
पांच-पांच छात्रों के लिए एक कमरा है |
कभी-कभी निश्चित संख्यावाची विशेषण भी अनिश्चयसूचक विशेषण के योग से अनिश्चित संख्यावाची बन जाते हैं | जैसे –
उस सभा में लगभग हजार व्यक्ति थे |
आसपास की दो निश्चित संख्याओं का सह प्रयोग भी दोनों के आसपास की अनिश्चित संख्या को प्रकट करता है | जैसे –
मुझे हजार-दो-हजार रूपये दे दो |
कुछ संख्याओं में ‘ओं’ जोड़ने से उनके बहुत्व यानी अनिश्चित संख्या की प्रतीति होती है | जैसे –
सालों बाद उसका प्रवासी पति लौटा है |
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर करोड़ों लोगों पर स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है |
3. परिमाणवाचक विशेषण
“वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाता है |”
इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है | जैसे –
मुझे थोड़ा दूध चाहिए, बच्चे भूखे हैं |
बारात को खिलाने के लिए चार क्विंटल चावल चाहिए |
उपर्युक्त उदाहरणों में ‘थोड़ा’ अनिश्चित एवं ‘चार क्विंटल’ निश्चित मात्रा का बोधक है |
परिमाणवाचक से भिन्न संज्ञा शब्द भी परिमाणवाचक की भांति प्रयुक्त होते हैं | जैसे –
चुल्लू भर पानी में डूब मरो |
2007 की बाढ़ में सड़कों पर छाती भर पानी हो गया था |
संख्यावाचक की तरह ही परिमाणवाचक में भी ‘ओं’ के योग से अनिश्चित बहुत्व प्रकट होता है | जैसे –
उस पर तो घड़ों पानी पड़ गया है |
4. सार्वनामिक विशेषण
हम जानते हैं कि विशेषण के प्रयोग से विशेष्य का क्षेत्र सिमित हो जाता है | जैसे – ‘गाय’ कहने से उसके व्यापक क्षेत्र का बोध होता है; किन्तु ‘काली गाय’ कहने से गाय का क्षेत्र सीमित हो जाता है | इसी तरह “जब किसी सर्वनाम का मौलिक या यौगिक रूप किसी संज्ञा के पहले आकर उसके क्षेत्र को सीमित कर दे, तब वह सर्वनाम न रहकर ‘सार्वनामिक विशेषण’ बन जाता है |” जैसे –
यह गाय है | वह आदमी है |
तो ‘यह’ और ‘वह’ गाय एवं आदमी के विशेष्ण बन जाते हैं | इसी तरह अन्य उदाहरणों को देखें –
1. वह गदहा भागा जा रहा है |
2. जैसा काम वैसा ही दाम, यही तो नियम है |
3. जितनी आमद है उतना ही खर्च भी करो |
यह भी जाने :- विशेषण क्या है व इसके प्रकार :-
2. संख्यावाचक विशेषण
“वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेष’ कहलाता है |” जैसे –
उस मैदान में पांच लड़के खेल रहे हैं |
इस कक्षा के कुछ छात्र पिकनिक पर गए हैं |
उक्त उदाहरणों में ‘पांच’ लड़कों की निश्चित संख्या एवं ‘कुछ’ छात्रों की अनिश्चित संख्या बता रहे हैं |
निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी कई तरह के होते हैं –
1. गणनावाचक : यह अपने विशेष्य की साधारण संख्या या गिनती बताता है | इसके भी दो प्रभेद होते हैं –
(a) पूर्णांकबोधक/पूर्ण संख्यावाचक : इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता है | जैसे –
चार छात्र, आठ लड़कियां .................
(b) अपूर्णांक बोधक/अपूर्ण संख्यावाचक : इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग होता है | जैसे –
सवा रूपये, ढाई किमी. आदि |
2. क्रमवाचक : यह विशेष्य की क्रमात्मक संख्या यानी विशेष्य के क्रम को बतलाता है | इसका प्रयोग सदा एकवचन में होता है | जैसे –
पहली कक्षा, दूसरा लड़का, तीसरा आदमी, चौथी खिड़की आदि |
3. आवृत्तिवाचक : यह विशेष्य में किसी इकाई की आवृत्ति की संख्या बतलाता है | जैसे –
दुगने छात्र, ढाई गुना लाभ आदि |
4. संग्रहवाचक : यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बतलाता है | जैसे –
चारो आदमी, आठो पुस्तकें आदि |
5. समुदायवाचक : यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है | जैसे –
एक जोड़ी चप्पल, पांच दर्जन कॉपियां आदि |
6. वीप्सावाचक : व्यापकता का बोध कराने वाली संख्या को वीप्सावाचक कहते हैं | यह दो प्रकार से बनती है – संख्या के पूर्व प्रति, फी, हर, प्रत्येक इनमें से किसी के पूर्व प्रयोग से या संख्या के द्वित्व से | जैसे –
प्रत्येक तीन घंटों पर यहाँ से एक गाड़ी खुलती है |
पांच-पांच छात्रों के लिए एक कमरा है |
कभी-कभी निश्चित संख्यावाची विशेषण भी अनिश्चयसूचक विशेषण के योग से अनिश्चित संख्यावाची बन जाते हैं | जैसे –
उस सभा में लगभग हजार व्यक्ति थे |
आसपास की दो निश्चित संख्याओं का सह प्रयोग भी दोनों के आसपास की अनिश्चित संख्या को प्रकट करता है | जैसे –
मुझे हजार-दो-हजार रूपये दे दो |
कुछ संख्याओं में ‘ओं’ जोड़ने से उनके बहुत्व यानी अनिश्चित संख्या की प्रतीति होती है | जैसे –
सालों बाद उसका प्रवासी पति लौटा है |
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर करोड़ों लोगों पर स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है |
3. परिमाणवाचक विशेषण
“वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाता है |”
इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है | जैसे –
मुझे थोड़ा दूध चाहिए, बच्चे भूखे हैं |
बारात को खिलाने के लिए चार क्विंटल चावल चाहिए |
उपर्युक्त उदाहरणों में ‘थोड़ा’ अनिश्चित एवं ‘चार क्विंटल’ निश्चित मात्रा का बोधक है |
परिमाणवाचक से भिन्न संज्ञा शब्द भी परिमाणवाचक की भांति प्रयुक्त होते हैं | जैसे –
चुल्लू भर पानी में डूब मरो |
2007 की बाढ़ में सड़कों पर छाती भर पानी हो गया था |
संख्यावाचक की तरह ही परिमाणवाचक में भी ‘ओं’ के योग से अनिश्चित बहुत्व प्रकट होता है | जैसे –
उस पर तो घड़ों पानी पड़ गया है |
4. सार्वनामिक विशेषण
हम जानते हैं कि विशेषण के प्रयोग से विशेष्य का क्षेत्र सिमित हो जाता है | जैसे – ‘गाय’ कहने से उसके व्यापक क्षेत्र का बोध होता है; किन्तु ‘काली गाय’ कहने से गाय का क्षेत्र सीमित हो जाता है | इसी तरह “जब किसी सर्वनाम का मौलिक या यौगिक रूप किसी संज्ञा के पहले आकर उसके क्षेत्र को सीमित कर दे, तब वह सर्वनाम न रहकर ‘सार्वनामिक विशेषण’ बन जाता है |” जैसे –
यह गाय है | वह आदमी है |
तो ‘यह’ और ‘वह’ गाय एवं आदमी के विशेष्ण बन जाते हैं | इसी तरह अन्य उदाहरणों को देखें –
1. वह गदहा भागा जा रहा है |
2. जैसा काम वैसा ही दाम, यही तो नियम है |
3. जितनी आमद है उतना ही खर्च भी करो |
tags :-क्रिया विशेषण की परिभाषा,विशेषण की परिभाषा और प्रकार,विशेषण,विशेषण और विशेष्य के उदाहरण,क्रिया की परिभाषा,विशेषण शब्द लिस्ट
0 Response to "हिंदी व्याकरण - विशेषण क्या है व उसके प्रकार"
एक टिप्पणी भेजें