क्रिया किसे कहते हैं व क्रिया के कितने प्रकार हैं ?

 क्रिया

Kriya (verb) in Hindi grammar
क्रिया क्या है


क्रिया वाक्य को पूर्ण बनाती है | इसे ही वाक्य का ‘विधेय’ कहा जाता है | वाक्य में किसी काम के करने या होने का भाव क्रिया ही बताती है | अतएव, ‘जिससे काम का होना या करना समझा जाए, उसे ही ‘क्रिया’ कहते हैं |’ जैसे –

लड़का मन से पढ़ता है और परीक्षा पास करता है |

उक्त वाक्य में ‘पढ़ता है’ और ‘पास करता है’ क्रियापद है |

1. क्रिया का सामान्य रूप ‘ना’ अंतवाला होता है | यानी क्रिया के सामान्य रूप में ‘ना’ लगा रहता है | जैसे –

खाना : खा पढ़ना : पढ़

सुनना : सुन लिखना : लिख आदि |

नोट : यदि किसी काम या व्यापार का बोध न हो तो ‘ना’ अन्त्वाले शब्द क्रिया नहीं कहला सकते | जैसे –

सोना महंगा है | (एक धातु है)

वह व्यक्ति एक आँख से काना है | (विशेषण)

उसका दाना बड़ा ही पुष्ट है | (संज्ञा)

2. क्रिया का साधारण रूप क्रियार्थक संज्ञा का काम भी करता है | जैसे –

सुबह का टहलना बड़ा ही अच्छा होता है |

इस वाक्य में ‘टहलना’ क्रिया नहीं है |

निम्नलिखित क्रियाओं के सामान्य रूपों का प्रयोग क्रियार्थक संज्ञा के रूप में करें :

नहाना कहना गलना रगड़ना सोचना हंसना देखना बचना धकेलना रोना

निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियार्थक संज्ञाओं को रेखांकित करें :

1. माता से बच्चों का रोना देखा नहीं जाता |

2. अपने माता-पिता का कहना मानो |

3. कौन देखता है मेरा तिल-तिल करके जीना |

4. हंसना जीवन के लिए बहुत जरूरी है |

5. यहाँ का रहना मुझे पसंद नहीं |

6. घर जमाई बनकर रहना अपमान का घूँट पीना है |

7. मजदूरों का जीना भी कोई जीना है ?

8. सर्वशिक्षा-अभियान का चलना बकवास नहीं तो और क्या है ?

9. बड़ों से उनका अनुभव जानना जीने का आधार बनता है |

10. गांधी को भला-बुरा कहना देश का अपमान करना है |

#kriya ke prakar 

#akarmak and sakarmak

मुख्यत: क्रिया के दो प्रकार होते हैं –

1. सकर्मक क्रिया

“जिस क्रिया का फल कर्त्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ (Transitive verb) कहते हैं |”

अतएव, यह आवश्यक है कि वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म लाये | यदि क्रिया अपने साथ कर्म नहीं लाती है तो वह अकर्मक ही कहलाएगी | नीचे लिखे वाक्यों को देखें :

(i) प्रवर अनू पढ़ता है | (कर्म-विहीन क्रिया)

(ii) प्रवर अनू पुस्तक पढ़ता है | (कर्मयुक्त क्रिया)

प्रथम और द्वितीय दोनों वाक्यों में ‘पढ़ना’ क्रिया का प्रयोग हुआ है; परन्तु प्रथम वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म न लाने के कारण अकर्मक हुई, जबकि द्वितीय वाक्य की वही क्रिया अपने साथ कर्म लाने के कारण सकर्मक हुई |


2. अकर्मक क्रिया

“वह क्रिया, जो अपने साथ कर्म नहीं लाये अर्थात जिस क्रिया का फल या व्यापार कर्त्ता पर ही पड़े, वह अकर्मक क्रिया (Intransitive verb) कहलाती है |” जैसे –

उल्लू दिनभर सोता है |

इस वाक्य में ‘सोना’ क्रिया का व्यापार उल्लू (जो कर्त्ता है) ही करता है और वही सोता भी है | इसलिए ‘सोना’ क्रिया अकर्मक हुई |

कुछ क्रियाएं अकर्मक सकर्मक दोनों होती हैं | नीचे लिखे उदाहरणों को देखें –

1. उसका सिर खुजलाता है | (अकर्मक)

2. वह अपना सिर खुजलाता है | (सकर्मक)

3. जी घबराता है | (अकर्मक)

4. विपत्ति मुझे घबराती है | (सकर्मक)

5. बूंद-बूंद से तालाब भरता है | (अकर्मक)

6. उसने आँखे भर के कहा (सकर्मक)

7. गिलास भरा है | (अकर्मक)

8. हमने गिलास भरा है | (सकर्मक)

जब कोई अकर्मक क्रिया अपने ही धातु से बना हुआ या उससे मिलता-जुलता सजातीय कर्म चाहती है तब वह सकर्मक कहलाती है | जैसे –

सिपाही रोज एक लम्बी दौड़ दौड़ता है |

भारतीय सेना अच्छी लड़ाई लड़ना जानती है / लड़ती है |

यदि कर्म की विवक्षा न रहे, यानी क्रिया का केवल कार्य ही प्रकट हो, तो सकर्मक क्रिया भी अकर्मक-सी हो जाती है | जैसे –

ईश्वर की कृपा से बहरा सुनता है और अंधा देखता है |

एक प्रेरणार्थक क्रिया होती है, जो सदैव सकर्मक ही होती है | जब धातु में आना, वाना, लाना या लवाना, जोड़ा जाता है तब वह धातु ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ का रूप धारण कर लेता है | इसके दो रूप होते हैं :

धातु प्रथम प्रेरणार्थक द्वितीय प्रेरणार्थक

हंस हंसाना हंसवाना

सुन सुनाना सुनवाना

जी जिलाना जिलवाना

धो धुलाना धुलवाना

शेष में आप आना, वाना, लाना, लवाना, जोड़कर प्रेरणार्थक रूप बनाएं :

कह पढ़ जल मल भर गल सोच बन देख निकल रह पी रट छोड़

जा भेजना भिजवाना टूट तोड़ना तुड़वाना

अर्थात जब किसी क्रिया को कर्त्ता कारक स्वयं नहीं करके किसी अन्य को करने के लिए प्रेरित करे तब वह क्रिया ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ कहलाती है |

प्रेरणार्थक रूप अकर्मक एवं सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से बनाया जाता है | प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने पर अकर्मक क्रिया भी सकर्मक रूप धारण कर लेती है |

निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं को छांटकर उनके प्रकार लिखे :

1. हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए |

2. कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था |

3. गाड़ी छूट रही थी |

4. एक सफेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे |

5. नवाब साहब ने संगती के लिए उत्साह नहीं दिखाया |

6. अकेले सफर का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे |

7. दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला |

8. जेब से चाकू निकाला |

9. नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए |

10. पानवाला नया पान खा रहा था |

11. मेघ बरस रहा था |

12. वह विद्यालय में पढ़ता-लिखता है |

नोट : कुछ धातु वास्तव में मूल अकर्मक या सकर्मक हैं; परन्तु स्वरूप में प्रेरणार्थक से जान पड़ते हैं | जैसे – घबराना, कुम्हलाना, इठलाना आदि |

अकर्मक व सकर्मक पार्ट 2

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