सौर परिवार के ग्रहों का परिभ्रमण काल

सौरमंडल (Solar System)

सूर्य के चारों और चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिंडो के समूह को सौरमंडल (Solar System) कहते हैं | सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है, क्यूंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है | सौरमंडल के समस्त उर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है |

''प्लेनेमस'' सौरमंडल से बाहर बिल्कुल एक जैसे दिखने वाले जुड़वाँ पिंडो का एक समूह है |

सौर परिवार की सारणी

बुध - व्यास (4,878 किमी): - परिभ्रमण काल 58.6 दिन (अपने अक्ष पर) - परिक्रमण काल (88 दिन सूर्य के चारों और) - उपग्रहों की संख्या 0

शुक्र - व्यास (12,104 किमी ) :- परिभ्रमण काल 243 दिन (अपने अक्ष पर)  - परिक्रमण काल  88 दिन (सूर्य के चारों ओर)  - उपग्रहों की संख्या  - 0

पृथ्वी - व्यास (12,756 -12,714 किमी ):- परिभ्रमण काल 23.9 घंटे, - परिक्रमण काल  365.26 दिन (सूर्य के चारों ओर) - उपग्रहों की संख्या - 1

मंगल - व्यास (6,796 किमी ):- परिभ्रमण काल 24.6 घंटे (अपने अक्ष पर), परिक्रमण काल 687 दिन, - उपग्रहों की संख्या - 2

बृहस्पति - व्यास (1,42,984 किमी ),:- परिभ्रमण काल -9.9 घण्टे, परिक्रमण काल - 11.9 वर्ष , उपग्रहों की संख्या - 67

शनि - व्यास (1,20,536 किमी),:- परिभ्रमण (10.3 घंटे अपने अक्ष पर) , परिक्रमण काल - 29.5 वर्ष (सूर्य के चारों ओर), उपग्रहों की संख्या - 62

अरुण - व्यास (51,118 किमी),:- परिभ्रमण काल 17.2 घंटे (अपने अक्ष पर ), परिक्रमण काल -84 वर्ष (सूर्य के चारों और), उपग्रहों की संख्या - 27

वरुण - व्यास (49,100 किमी किमी),:- परिभ्रमण काल 16.1 घंटे, परिक्रमण काल - 164.8 वर्ष (सूर्य के चारों ओर), उपग्रहों की संख्या - 13

लघु सौरमंडलीय पिंड :

क्षुद्र ग्रह (Asteroids):

मंगल एवं वृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड है, जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, उसे 'क्षुद्र ग्रह' कहते हैं | खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है | क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है , तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त (लोनार झील-महाराष्ट्र) बनता है |

फोर वेस्टा - एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है |


धूमकेतु (Comet):

सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं, जो 'धूमकेतु' या 'पुच्छल तारे' कहलाते हैं | यह गैस एवं धूल का संग्रह है, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूंछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं | धूमकेतु केवल तब दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की और अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य-किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती है | धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर दिखाई देता है |

हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल '76 वर्ष है, यह अंतिम बार 1986 ई. में दिखाई दिया था | अगली बार वह 1986+76 = 2062 में दिखाई देगा |

धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है |


उल्का (Meteros):

उल्काएं प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में देखते हैं जो आकाश के क्षणभर के लिए दमकती है और लुप्त हो जाती है | उल्काएं क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गये धूल के कण होते हैं |


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