भारतीय संविधान की अनुसूची |Schedule of Indian Constitution in hindi |

भारतीय संविधान की अनुसूची |Schedule of Indian Constitution|

Schedule of Indian Constitution

प्रथम अनुसूची : इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों (29 राज्य) एवं संघशासित क्षेत्रों का उल्लेख है |
नोट : संविधान के 69वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है |

द्वितीय अनुसूची : इसमें भारतीय राज व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (रास्त्रपति,राज्यपाल,लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ,विधानपरिषद् के सभापति एवं उपसभापति,उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है |

तृतीय अनुसूची : इसमें विभिन्न पदाधिकारियों (मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ) द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है |

चौथी अनुसूची : इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है |

पाँचवी अनुसूची : इसमें विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियन्त्रण के बारे में उल्लेख है |

छठी अनुसूची : इसमें असम,मेघालय,त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है |

सातवीं अनुसूची : इसमें केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बँटवारे के बारे में दिया गया है तथा इसी अनुसूची में सरकारों द्वारा शुल्क एवं कर लगाने के अधिकारों का उल्लेख है | इसके अंतर्गत तीन सूचियाँ है - संघ सूची,राज्य सूची, एवं समवर्ती सूची

1. संघ सूची : इस सूची में दिए गये विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है | संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे | {वर्तमान में 100 विषय}

2. राज्य सूची : इस सूची में दिए गया विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है | राष्ट्रीय हित से सम्बन्धित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है | संविधान के लागू होने के समय इसके अंतर्गत 66 विषय थे | {वर्तमान में 61 विषय }

समवर्ती सूची : इसके अंतर्गत दिए गये विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती है | परन्तु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है | राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है | संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे | [वर्तमान में 52 विषय]
नोट : समवर्ती सूची का प्रावधान जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में नहीं है |

आठवीं अनुसूची : इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है | मूल रूप से 8वीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थी,1967 (21वा. संशोधन) में सिंधी को , 1992 (71वां संशोधन) में कोंकणी,मणिपुरी तथा नेपाली को और 2003 (92वां संशोधन) में मैथिलि,सन्धाली,डोगरी एवं बोड़ो को 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया |

नौवीं अनुसूची : संविधान में यह अनुसूची प्रथम सविधान संशोधन अधिनियम, 1951के दवारा जोड़ी गई | इसके अंतर्गत राज्य द्वारा समाप्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है | इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है | वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम है |
नोट : अब तक यह मान्यता थी कि संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती | 11 जनवरी 2007 के संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया है कि नौवीं अनुसूची में सम्मिलित किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा उच्चतम न्यायालय इन कानूनों की समीक्षा कर सकता है |

दसवीं अनुसूची : यह संविधान में 52वें संशोधन 1985 के द्वारा जोड़ी गई है | इसमें दल-बदल से सम्बन्धित प्रावधानों का उल्लेख है |

ग्यारवीं अनुसूची : यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है | इसमें पंचायती राज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किये गये है |

बारहवीं अनुसूची : यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है | इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किये गये है |

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