क्या है, मंडी षड़यंत्र (1914-15)

                                       मंडी षड़यंत्र (1914-15) 

बेगार प्रथा :- मूल्य चुकाए बिना श्रम कराने की प्रथा को बेगार कहते हैं। इसमें श्रमिकों की इच्छा के बिना काम लिया जाता यह प्रथा अंग्रेजो के खिलाफ आम जनता के असंतोष की एक बड़ी वजह थी।

 

बेगार प्रथा के खिलाफ मंडी रियासत में विद्रोह 1909 में मंडी रियासत के लोगों द्वारा मंडी की भ्रष्ट सत्ता और अंग्रेजी शासकों के विरुद्ध में हुआ|

ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा की मंडी षड्यंत्र की नीव 1909 में ही रखी जा चुकी थी| इस समय मंडी का शासक भवानी सेन था जिसका वजीर जीवानन्द उपाध्य था जो बहुत भ्रष्ट, अत्याचारी और अत्यंत क्रूर था| इस के कारण मंडी के किसानों में रोष फ़ैल गया, इस रोष के कारण सरकाघाट के शोभा राम अपने शिष्टमंडल को लेकर भवानी सेन से बात करने गए परन्तु , भवानी सेन ने उनकी बातों के उपर ध्यान नहीं दिया| इसके साथ इस शिष्टमंडल की बात ब्रिटिश सरकार से भी परन्तु परिणाम वही हुआ , अंग्रेजों ने भी इनकी बात नहीं सुनी | जनता में रोष और ज्यादा फ़ैल गया और भारी मात्रा में लोग व् किसान आंदोंलन करने के लिए इकठ्ठा हो गये| सैकड़ों के हिसाब से इकठ्ठा हुए किसान जुलुस लेके राजा के दरबार तक पहुंच गये व् गुस्से में किसानों ने तहसीलदार हरदेव और अन्य अधिकारियों को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया,और कचहरी, कोर्ट, थाने पर कब्जा कर लिया| इस स्थिति को देखते हुए भवानी सेन ने अंग्रेजों से मदद मांगी , अंग्रेजों ने अपनी 32 पायनियर्स रेजिमेंट की दो कम्पनियां मंडी भेजी और विद्रोह को रोक दिया| और साथ ही किसानों की बात सुनने के लिए मंडी के पड्डल मैदान में राजा को दरबार लगाना पड़ा | राजा के साथ अंग्रेजी सरकार के भी अधिकारी वहां उपस्थित थे | किसानों की बात सुनने पर भ्रष्ट वजीर जीवानन्द को उसके पद से हटा दिया और किसानों के करों में कमी की गई और साथ में फैसला लिया गया की किसान खुले में अनाज बेच सकते हैं|

परन्तु अंग्रेजी अधिकारियों के जाने के बाद मंडी के राजा ने शोभा राम के खिलाफ देश द्रोह का मुकद्दमा चला दिया और उन्हें और उनके अन्य सहयोगियों को जेल में डाल दिया|

मंडी षडयंत्र क्या है?

मंडी षड्यंत्र का शुरुवाती समय:-

1914-15 में ‘गदर पार्टी’ के नेतृत्त्व में हुआ| गदर पार्टी की स्थापना लाला हरदयाल ने सैन फ्रांसिस्को (USA) में की| गदर पार्टी की कुछ सदस्य जब USA से मंडी में आये तो उन्होंने मंडी और सुकेत में कार्यकर्ता भर्ती करने के लिए फ़ैल गए| इनके प्रभाव में मियां जवाहर सिंह और रानी खैरखडी आई|

(रानी खैरगढ़ी:- राजा भवानी सेन की पत्नी थी जो राजा की मृत्यु के बाद रानी बनी उनका नाम रानी ललिता कुमारी था जो रानी खैरगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध थी| )

रानी खैरगढ़ी ने राजकीय मोह को त्याग कर स्वतन्त्रता आन्दोलन अपनी सक्रियता दी| रानी ने क्रांतिकारी संगठनों की आर्थिक रूप से मदद भी की व् उनका नेतृत्व भी किया| हरदेव राम जो गदर पार्टी में प्रमुख क्रांतिकारी बने, 1913 में अपनी अध्यापक की नौकरी छोड़ कर  1914 में गदर पार्टी में क्रांतिकारी बनकर उभरे|

इन्होने ने गदर पार्टी के नाम के पम्फलेट बनाये जो ‘ गदर की गूंज गदर संदेश, एलान-ऐ-जंग भारत माता की फरियाद हिंदुस्तान हमारा ‘ आदि से लोगों को प्रेरित करने का प्रयास किया |

मंडी षड्यंत्र प्रगति पर :-

जब मंडी रियासत में गदर पार्टी का प्रभाव चरम सीमा पर था तो मंडी षड्यंत्र की शुरुवात हो गयी | मंडी के क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण पंजाबी दल के नेता रास बिहारी बोस, निधान सिंह और किसन सिंह देते थे | 

दिसम्बर 1914 और जनवरी 1915 को क्रांतिकारियों ने मंडी के सुपरिटेन्डेंट और वजीर की हत्या, कोषागार को लुटने व् ब्यास पुल को उड़ाने का प्लान बनाया | परन्तु नागचला डकैती के अलावा ये किसी भी प्लान में सफल नहीं हुए | इसमें दलीप सिन्ह और निधान सिंह पकड़े गये और संगठन का भेद खुल गया|

इसके साथ ही मंडी षड्यंत्र में मियाँ जवाहर सिंह, शारदा राम, ज्वाला राम, बदरी नाथ और लोगु राम को पकड़ा गया और जेल में डाला गया| रानी खैरगढ़ी को देश निकाला दे दिया गया|

भाई हिरदा राम को लाहौर षड्यंत्र का केस डाल कर फांसी दे दी गई |

इसमें हरदेव सिंह  गदर पार्टी के सदस्य बने रहे और बाद में स्वामी कृष्णानन्द के रूप में प्रसिद्ध हुए|

 

 

मुख्य बाते :-

प्रश्न:- मंडी रियासत की स्थापना किसने की?

बाणसेन

प्रश्न :- विक्टोरिया पुल का निर्माण किसने करवाया |

विजय सेन (1877 में दिल्ली दरबार में उपस्थिति)

प्रश्न:- मंडी शहर की स्थापना किसने की?

अजबर सेन

प्रश्न: छोटी काशी के नाम से कौन प्रसिद्ध है?

मंडी

 

 


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