प्रत्यय किसे कहते हैं और प्रत्यय के प्रकार कितने होते हैं

  हिंदी व्याकरण की इस पोस्ट में हम जानेगें प्रत्यय के बारे में | पिछली पोस्ट में हमने जाना था उपसर्ग में आइये अब पढ़ते हैं प्रत्यय के बारे में |

प्रत्यय
प्रत्यय किसे कहते हैं व् प्रकार

प्रत्यय किसे कहते हैं ( Pratyaya kise kahte hain )

प्रत्यय

      “ जो शब्दांश, शब्दों के अंत में जुड़कर अर्थ में परिवर्तन लाये, ‘प्रत्यय कहलाता है |”

प्रत्यय मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं –

(a) विभक्ति प्रत्यय (परसर्ग)

      संज्ञा, सर्वनाम पदों के साथ ने, को, से आदि प्रत्ययों का प्रयोग होता है | ये कारक-चिह्न है | अत: विभक्ति प्रत्यय के नाम से जाने जाते हैं |

      संज्ञा से ये प्रत्यय प्राय: अलग रहा करते हैं | ये केवल इस बात का संकेत करते हैं कि उक्त संज्ञा का प्रयोग किस कारक के लिए हुआ है| जैसे –

      रामू ने, मोनू को, लड़कों में आदि |

सर्वनाम के साथ दो तरह की बातें देखी जाती हैं –

(i) किसी सर्वनाम पद के ठीक बाद वाले कारक-चिह्न उससे जुड़ जाते हैं | जैसे -

      मैंने, तुमको आदि |

(ii) यदि सर्वनाम पद के बाद दो कारकों के चिह्न रहें तो पहला चिह्न सर्वनाम से जुड़ता है और दूसरा अलग रहता है | जैसे –

उनमें से, तुममें से आदि |

नीचे कुछ सर्वनामों के रूप दिए गए हैं –

‘मैं से बने विभिन्न शब्द : मैंने, मुझे, मुझको, मुझसे, मेरे लिए, मेरा, मेरे, मेरी, मुझमें, मुझपर आदि |

तू/तुम से बने शब्द : तुमने, तुमको, तुम्हें, तुमसे, तुमपर, तुममें, तेरा, तेरे, तेरी, तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे, तुझे, तुझको, तुझसे आदि |

(b) स्त्री-प्रत्यय

      जिन प्रत्ययों के लगाने से स्त्रीलिंग रूप बनाये जाते हैं, उन्हें ही ‘स्त्री प्रत्यय कहा जाता है | उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्दों के स्त्रीलिंग रूप लिखें –

(i) ‘ई प्रत्यय लगाकर :

      उदाहरण – देव + ई = देवी

घोड़ा, मामा, दादा, काका, चाचा, नाना, भतीजा, भांजा, लड़का, काला, बकरा, नद, फेरा, उसका, मेरा, तेरा, हमारा, तुम्हारा, ढलवां, लंगोट, टोपीवाला, बेटा, गीदड़, गधा, तीतर, अच्छा, खाया, गया, चुका, था, होगा, अधेला, दूधवाला, दास, हिरन, पुत्र, घट, चुकौता, चमोटा, एकहरा, चमड़ा, पियक्कड़, गूंगा, गोप, साला, कुत्ता, नाला, मोटा, वाला, फूफा, नगर, गौर, सुंदर, जीजा, छुरा, रस्सा, पतला, नर्त्तक, पंचम, सखा, पोथा, चींटा, पिटारा, रोट, टोपा, मक्खा, पोता, कुर्त्ता, मुर्गा, कुमार, कटोरा

(ii) ‘इन प्रत्यय लगाकर :

      उदाहरण – तेली + इन = तेलिन

धोबी, दर्जी, सुनार, कहार, लाला, बाघ, लठैत, खेलाड़ी, ठठेरा, ग्वाला, नाती, ईसाई, जुलाहा, गंजेड़ा, पंडा, हत्यारा, हंसोड़ा, तैराक, जाननहार, हलवाई, जामादार, नाई, रीछ, चमार, अहीर, लड़ैत

(iii) ‘आ प्रत्यय लगाकर :

      उदाहरण – सुत = सुता

आत्मज, कान्त, अबल, श्याम, प्रियतम, पूज्य, अध्यक्ष, तनुज, चंचल, अनुज, पालित, तनय, पीत, शूद्र, निर्मल, महोदय, शिव, मूर्ख, निर्बल, प्राचार्य, प्रिय, महाशय, बाल, शिष्य, छात्र, प्रथम, मुग्ध, भवदीय, ज्येष्ठ

(iv) ‘आइन प्रत्यय लगाकर :

उदाहरण – ओझा = ओझाइन

ठाकुर, मिसिर, पंडित, बनिया, चौबे, पांडेय, धुनिया, जमादार, सुकुल, साहू, बाबू, बुझक्कड़

(v) ‘इका प्रत्यय लगाकर :

      उदाहरण – पाठक = पाठिका

बालक, नायक, धावक, श्रावक, सेवक, लेखक, भक्षक, पालक, गायक, संरक्षक, प्राध्यापक, शिक्षक, अध्यापक, वाचक, निरीक्षक, वाहक, दायक, परिचारक

(vi) ‘वती/मती प्रत्यय लगाकर :

      उदाहरण – धनवान = धनवती

बुद्धिमान, आयुष्मान, भगवान्, भगवन्, महान, बलवान्, श्रीमान्भाग्यवान

(vii) ‘इया प्रत्यय लगाकर :

      उदाहरण – बंदर = बंदरिया

बाछा, लोटा, डिब्बा, कुत्ता, बूढ़ा, गुड्डा, टोंटा

इन प्रत्ययों के अतिरिक्त भी अन्य प्रत्यय हैं | जैसे –

सेठ + आनी = सेठानी जेठ – जेठानी  देवर – देवरानी

गुरु + आनी = गुरुआनी

मोर + नी = मोरनी

साधु + वी = साध्वी

घट + नी = घटनी आदि |

(c) ‘कृत प्रत्यय

      “क्रिया या धातु (क्रिया का मूल रूप) के अंत में लगने वाले प्रत्यय को ‘कृत प्रत्यय कहते हैं और इससे बने शब्द को ‘कृदंत’ कहा जता है |” जैसे –

      पढ़ना (क्रियापद) + वाला (कृत प्रत्यय) = पढ़नेवाला (कृदंत)

हिंदी क्रियापदों के अंत में कृत प्रत्ययों के योग से निम्नलिखित प्रकार के कृदंत बनाए जाते हैं –

(i) कर्तृवाचक कृदंत : 

कर्तृवाचक कृदंत क्रिया करने वाले का बोध कराते हैं यानी ये कृदंत प्राय: कर्त्ता कारक का काम करते हैं | जैसे -

      दूध + वाला = दूधवाला

कर्तृवाचक कृदंत बनाने की निम्नलिखित विधियाँ हैं –

(a) क्रिया के सामान्य रूप के ‘ना को ‘ने करके आगे ‘वाला जोड़कर | जैसे -

      पढ़ना + वाला = पढ़नेवाला

      देखना + वाला = देखनेवाला

      जानना + वाला = जाननेवाला

(b) क्रिया के सामान्य रूप के ‘ना को ‘न करके आगे ‘हार या ‘सार जोड़कर जैसे –

      जानना + हार = जाननहार

      मरना + हार = मरनहार

      मिलना + सार = मिलनसार

(c) धात के आगे अक्कड़, आऊ, आक, आका, आड़ी, आलू, इयल, इया, ऊ, एरा, ऐत, ओड़ा, एया, क, वैया आदि प्रत्यय लगाकर जैसे –

      लड़ + आका = अड़ाका

      खेल + आदि = खेलाड़ी/खिलाड़ी

निर्देश : नीचे दिए गए क्रिया पदों/धातुओं में कोष्ठक में लिखित प्रत्यय जोड़कर कृदंत बनाएं –

भूल (अक्कड़), बूझ (अक्कड़), पी (अक्कड़), धूम (अंतु), उड़ (अंकू), तैर (आक), लड़ (आका), मर (इयल), अड़ना (इयल), खा (ऊ), लूट (एरा), गाना (एया), भाग (ओड़ा), रोना (हारा)

(ii) गुणवाचक कृदंत : 

गुणवाचक कृदंत किसी विशिष्ट गुणबोधक होते हैं | ये कृदंत आऊ, आवना, इया, वां अंतवाले होते हैं | जैसे –

      टिकना + आऊ = टिकाऊ

      बिक + आऊ = बिकाऊ

      सुहा + आवना = सुहावना

      लुभा + आवना = लुभावना

(iii) कर्मवाचक कृदंत : 

कर्मवाचक कृदंत कर्मबोधक होते हैं यानी Sentence में object का काम करते हैं | ये प्राय: औना, ना, नी आदि प्रत्ययों से बनाए जाते हैं | जैसे –

      बिछना + औना = बिछौना

      खेल + औना = खिलौना

      करना + नी = करनी

      पढ़ + ना = पढ़ना

(iv) करणवाचक कृदंत : 

वे प्रत्ययान्त जो क्रिया के साधन का बोध कराते हैं | वे शब्द धातुओं में आ, आनी, ऊ, न, ना, औटी, ई, नी, औना आदि प्रत्ययों के जोड़ने से बनते हैं | जैसे –

      कस + औटी = कसौटी

      मथ + आनी = मथानी

      झाड़ + ऊ = झाड़ू

      बेल + ना = बेलना

(v) भाववाचक कृदंत : 

धातु के अंत में अ, अन, आ, आई, आन, आप, आवट, आव, आस, आहट, ई, एरा, औती, त, ती, ति, न, नी, ना इत्यादि प्रत्ययों के जोड़ने से बने शब्द जो भावबोधक हों | जैसे –

      थक + आवट = थकावट

      लड़ + आई = लड़ाई

      पढ़ + आकू = पढ़ाकू

      बैठ + आ = बैठा

      घूम + आव = घुमाव

(vi) क्रियाबोधक कृदंत : 

क्रियाद्योतक कृदंत बीते हुए या गुजर रहे समय के बोधक होते हैं |

      मूल धातु के आगे ‘आ अथवा ‘या प्रत्यय लगाने से भूतकालिक तथा ‘ता प्रत्यय लगाने से वर्तमानकालिक कृदंत बनते हैं | जैसे –

भूतकालिक कृदंत – लिख + आ = लिखा

      पढ़ + आ = पढ़ा

      खा + या = खाया

वर्तमानकालिक कृदंत – लिख + ता = लिखता

      जा + ता = जाता

      खा + ता = खाता

नोट : कर्तृवाचक प्रत्ययों से ‘संज्ञा और ‘विशेषण दोनों बनते हैं | गुणवाचक से केवल विशेषण और कर्मवाचक, करणवाचक तथा भाववाचक से सिर्फ संज्ञाओं का निर्माण होता है | क्रियाद्योतक प्रत्ययों से विशेषण तथा अव्यय बनाए जाते हैं |

(d) ‘तद्धित प्रत्यय

      “क्रियाभिन्न शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषणादि) में लगने वाले प्रत्यय को ‘तद्धित कहा जाता है और इससे बने शब्द को ‘तद्धितांत कहते हैं |” जैसे –

      मानव (संज्ञा) + ता (तद्धित) = मानवता (तद्धितांत)

तद्धित प्रत्यय निम्नलिखित होते हैं –

(i) कर्तृवाचक : 

कर्तृवाचक तद्धित हैं – आर, इया, ई, उआ, एरा, एड़ी, वाला आदि | इनके जुड़ने से किसी काम के करने वाले, बनाने वाले या बेचने वाले का बोध होता है | जैसे -

      सोना + आर = सुनार

      दूध + वाला = दूधवाला

(ii) भाववाचक : 

भाववाचक प्रत्ययों को संज्ञा या विशेषण के साथ जोड़ने से भाव का बोध होता है | ये प्रत्यय हैं – आ, आई, आस, आयत, आहट, पा, पन, त, ता, त्व, नी, क आदि | जैसे –

      मीठा + आस = मिठास

      बच्चा + पन = बचपन

निर्देश : नीचे लिखे शब्दों में सामने दिए गए प्रत्यय जोड़कर भाववाचक तद्धितांत बनाएं –

प्रभु + ता, कवि + ता, आवश्यक + ता, विशेष + ता, विद्वान + ता, महान + ता, बुद्धिमान + ता, सत् + ता, लघु + ता, मृदु + ता, उपयोगी + ता, सहाय + ता, बन्धु + ता, पत्रकार + ता, प्रभु + त्व, सत् + त्व, तत् + त्व, महान + त्व, स्थायी + त्व, मंत्री + त्व, सती + त्व, मातृ + त्व, नेता + त्व, स्व + त्व, सखा + य, पंडित + य, सुंदर + य, सम्राट + य, धीर + य, राजा + य, पतिव्रता + य, पुरोहित + य, अधिपति + य, स्वस्थ + य, वत्सल + य, विचित्र + य, गुरु + इमा, लघु + इमा, महान + इमा, हरित + इमा, अरुण + इमा, चतुर + ता, मधुर + ई, अच्छा + आई, बुरा + आई, भला + आई, लंबा + आई, सच + आई, चतुर + आई, साफ + आई, अपना + पन, अपना + त्व, अपना + आयत, पंच + आयत, साफ़ + आया, छूट + कारा, मीठा + आस, खट्टा + आस, कड़वा + आहट, चिकना + आहट, हरा + इयाली, खुश + इयाली, गृहस्थ + ई, सावधान + ई, बुद्धिमान + ई, मास्टर + ई, दलाल + ई, चोर + ई, महाजन + ई, खेत + ई, किसान + ई, डॉक्टर + ई, तेज + ई, वाहवाह + ई, शाबाश + ई, दूर + ई, विदा + ई, जुदा + ई, बाप + औती, चाँद + नी, पागल + पन, बच्चा + पन, लड़का + पन, पिछड़ा + पन, बड़ा + आई, बड़ा + पन, सीधा + पन, भोला + पन, खोटा + पन, बूढ़ा + पा, मोटा + पा, मिहनत + आना, नजर + आना, जुर्म + आना, इंसान + इयत, आदमी + इयत, मालिक + इयत, खुश + ई, गरीब + ई, बद + ई, हाजिर + ई, चालाक + ई, सफेद + ई, नवाब + ई, फकीर + ई, दुकानदार + ई, दुश्मन + ई, दोस्त + ई, शेख + ई, शोख + ई, यादगार + ई, दलाल + ई, मंजूर + ई, विदा + ई, नादान + ई, लाचार + ई, क्रोध + ई, बेईमान + ई, गुलाम + ई, ज़िंदा + गी, मौजूद + गी, खाना + गी, बन्दा + गी, सादा + गी, गंदा + गी, ताजा + गी

रईस + त = रियासत, सुल्तान + त = सल्तनत, खादिम + त = खिदमत, शहीद + त, बादशाह + त, वजीर + त = वजारत, सदर + त = सदारत, हकीम + त = हिकमत, हाकिम + त = हुकुमत, हजाम + त, नफीस + त = नफासत, अहमक + त = हिमाकत

शरीफ + त, शरीर + त, जाहित + त, ज्यादा + ती, उदार + ता, राम + त्व, शिव + त्व, देव + त्व, आलस + य, लाल + इत्य, शिशु + व = शैशव, लघु + व = लाघव, नूतन + ता, निज + ता, निज + त्व, कुशल + ता, यौवन + त्व, शुचि + ता, नीच + ता, गुरु + ता, गुरु + त्व, नश्वर + ता, दयालु + ता, श्रद्धा + य = श्रद्धेय, वृद्धि + क्य = वार्द्धक्य

(iii) ऊनवाचक : 

ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय हैं – आ, इया, ओली, ड़, ड़ी, री आदि |

      ऊनवाचक प्रत्यय लगाने से वस्तु की लघुता, प्रियता, हीनता आदि का बोध होता है | जैसे –

      कोठा + री = कोठरी   (लघुताबोधक)

      बाबू + आ = बबुआ   (प्रियताबोधक)

      बूढ़ी + इया = बुढ़िया (हीनता / अपमानबोधक)

नीचे कुछ ऊनवाचक प्रत्यय से बने ऊनार्थक तद्धितांत हैं –

लोटा   :      लुटिया

लंगोट  :      लंगोटी

ठाकुर :      ठकुरा

सांप   :      संपोला

बहू    :      बहूटी

टांग   :      टंगड़ी

बच्चा  :      बचवा

माच   :      मचिया

आम   :      अंबिया

घोड़ा   :      घोड़वा

गठरी  :      गठरिया

हरी    :      हरिया

दुर्गा   :      दुर्गीय

आँख  :      अंखिया

बात   :      बतिया

टिम   :      टिमकी

मुख   :      मुखड़ा

तेली   :      तेलिया

भांग   :      भंगिया

गढ़    :      गढ़ोला

काला  :      कलूटा

खाट   :      खटिया

माई   :      मैया

आग   :      अगिया

बड़ा   :      बड़का

दुःख   :      दुखड़ा

पलंग  :      पलंगड़ी

ढोलक  :      ढोलकी

टीका  :      टिकली

फोड़ा   :      फोड़िया

धोबी   :      धोबिया

सिपाही :      सिपहिया

चोर   :      चोट्टा

बूढ़ा   :      बुढ़वा

घोड़ी   :      घोड़िया

भाई   :      भैया

पाँव   :      पैंया

बाछा  :      बछड़ा

डब्बा   :      डबिया

बेटी   :      बिटिया

राधा   :      रधिया

जी    :      जिया

पी    :      पिया

कन   :      कनकी

टूक   :      टुकड़ा

मांझ   :      मंझोला

रोआँ   :      रोंगटा

आंत   :      अंतड़ी

छोड़ा   :      छुटका

चाम   :      चमड़ा

(iv) अपत्यवाचक : 

इस प्रत्यय से आंतरिक परिवर्तन होता है | इससे बने शब्द माता, पिता, स्थान, वंश आदि का बोध कराते हैं | जैसे –

      रघु – राघव (वंश सूचक)

      वसुदेव – वासुदेव (पिता से बना)

      गंगा – गांगेय (माता से बना)

कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं –

मनु   :      मानव

राधा   :      राधेय

पितृ   :      पितामह

मृकंड  :      मार्कंडेय

विदेह  :      वैदेही

पृथा   :      पार्थ

पर्वत   :      पार्वती

मरुत  :      मारुति

शंडल  :      शांडिल्य

कुरु   :      कौरव

दिति  :      दैत्य

दुहितृ  :      दौहित्र

वनिता :      वैनतेय

केश   :      केशव

पांडु   :      पांडव

बदर   :      बादरायण

सुमित्र  :      सौमित्र

भगिनी :      भागिनेय

राजी   :      राजीव

कुंती   :      कौन्तेय

दशरथ :      दाशरथी

अतिथि :      आतिथेय

जनक  :      जानकी

कश्यप :      काश्यप

मातृ   :      मातुल

जमदग्नि     :      जामदग्न्य

(v) संबंध वाचक : 

इंसे संबंध का पता चलता है | ये प्रत्यय हैं – एरा, आल, आला, जा, दान आदि | जैसे –

मामा + एरा = ममेरा

ससुर + आल = ससुराल

कलम + दान = कलमदान

सांप + एरा = संपेरा

दुकान + दार = दुकानदार

सौत + एला = सौतेला

(vi) गुणवाचक : 

गुणवाचक प्रत्ययों के योग से बने शब्द पदार्थ का गुण प्रकट करते हैं | जैसे –

भूख से भूखा         प्यास से प्यासा       चार से चौथा

झगड़ा से झगडालू     रस से रसीला आदि |

(vii) स्थानवाचक : 

, इया, अना, डी, इस्तानी, गाह आदि स्थानवाचक तद्धित हैं | ये स्थान का बोध कराते हैं | जैसे –

      फारस + ई = फ़ारसी        चीन + ई = चीनी

      पाक + इस्तानी = पाकिस्तानी       पंजाब + ई = पंजाबी

      नेपाल + ई = नेपाली        बिहार + ई = बिहारी

(viii) अव्ययवाचक : 

आँ, अ, ओं, तना, भर, यों आदि अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय हैं | जैसे –

      यह + आँ = यहाँ           रात + भर = रातभर

नोट : यों तो तद्धित प्रत्यय अनंत हैं, फिर भी इनके योग से तीन प्रकार के शब्द बनते हैं –

(a) संज्ञा + प्रत्यय = विशेषण

      बिहार + ई = बिहारी   ग्राम + ईन = ग्रामीण

(b) विशेषण + प्रत्यय = भाववाचक संज्ञा

      भला + आई = भलाई  लंबा + आई = लंबाई

      मीठा + आस = मीठास

(c) संज्ञा/सर्वनाम/विशेषण + प्रत्यय = अव्यय

      आप + स = आपस   कोस + ओं = कोसों

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