उपसर्ग क्या होते हैं

हिंदी व्याकरण का प्रतियोगी परीक्षा में महत्वपूर्ण  स्थान होता है| हिंदी व्याकरण से स्टेट प्रतियोगी परीक्षा व् अन्य प्रतियोगी परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं | इसी लिए आज इस पोस्ट में हम आपके लिए हिंदी व्याकरण में  शब्द निर्माण कैसे होता है,के बारे में बताया गया है | 

शब्द निर्माण
उपसर्ग क्या होते हैं 

शब्द-निर्माण

      यौगिक शब्दों के बारे में बताया जा चुका है कि इसमें दो रुढ़ों का प्रयोग होता है | इसके अलावा उपसर्गों, प्रत्ययों के कारण भी यौगिक शब्दों का निर्माण होता है | नीचे दिए गए उदाहरणों को देखें –

      अ (उपसर्ग) + ज्ञान (मूल शब्द) = अज्ञान (नवीन शब्द)      उपसर्ग के कारण

      मानव (मूल शब्द) + ता (प्रत्यय) = मानवता (नवीन शब्द)    प्रत्यय के कारण

      राजा (रूढ़ शब्द) + कुमार (रूढ़ शब्द) = राजकुमार (नवीन शब्द)      समास के कारण

      पो + इत्र = पवित्र (संधि के कारण)

(ओ +इ)

ऊपर दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट है कि उपसर्ग, प्रत्यय, संधि और समास के कारण नये शब्दों का निर्माण होता है | संधि के बारे में हम जान चुके हैं | अब हम क्रमश: उपसर्ग, प्रत्यय और समास विधि से शब्द-रचना सीखेंगे –

उपसर्ग क्या होते हैं?(Upsarg kya hote hain)

उपसर्ग

      उप + सर्ग = उपसर्ग

‘उप का अर्थ है – समीप या निकट और ‘सर्ग का – सृष्टि करना |

“उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे|” जैसे –

      अभी + मान = अभिमान

      प्र + चार = प्रचार आदि |

उपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएं होती हैं –

1. शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना | जैसे -

      प्र + बल = प्रबल

      अनु + शासन = अनुशासन

2. शब्द के अर्थ को उलट देना | जैसे –

      अ + सत्य = असत्य

      अप + यश = अपयश

3. शब्द के अर्थ में, कोई ख़ास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना | जैसे –

      वि + शुद्ध = विशुद्ध

      परि + भ्रमण = परिभ्रमण

उपसर्ग शब्द-निर्माण में बड़ा ही सहायक होता है | एक ही मूल शब्द विभिन्न उपसर्गों के योग से विभिन्न अर्थ प्रकट करता है | जैसे –

      प्र + हार = प्रहार     :      चोट करना

      आ + हार = आहार    :      भोजन

      सम् + हार = संहार   :      नाश

वि + हार = विहार    :      मनोरंजनार्थ यत्र-तत्र घूमना

परि + हार = परिहार  :      अनादर, तिरस्कार

उप + हार = उपहार   :      सौगात

उत् + हार = उद्धार   :      मोक्ष, मुक्ति

हिंदी भाषा में तीन प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग होता है –

1. संस्कृत के उपसर्ग        :      कुल 22 उपसर्ग

2. हिंदी के अपने उपसर्ग      :      कुल 10 उपसर्ग

3. विदेशज उपसर्ग          :      कुल 12 उपसर्ग

ये उपसर्ग जहाँ कहीं भी किसी संज्ञा या विशेषण से जुड़ते हैं, वहां कोई-न-कोई समास अवश्य रहता है | यह सोचना भ्रम है कि उपसर्ग का योग समास से स्वतंत्र रूप में नये शब्द के निर्माण का साधन है | हाँ, समास के कारण भी कतिपय जगहों पर शब्द-निर्माण होता है |

      अव्ययीभाव समास                तत्पुरुष समास

      आ + जीवन = आजीवन            प्र + आचार्य = प्राचार्य

      प्रति + दिन = प्रतिदिन            प्र + ज्ञ = प्रज्ञ

      सम् + मुख = सम्मुख             अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय

      अभी + मुख = अभिमुख

      अधि + गृह = अधिगृह

      उप + गृह = उपगृह

बहुव्रीहि समास

      प्र + बल = प्रबल     :      प्रकृष्ट हैं बल जिसमें

      निर् + बल = निर्बल   :      नहीं है बल जिसमें

      उत् + मुख = उन्मुख  :      ऊपर है मुख जिसका

      वि + मुख = विमुख   :      विपरीत है मुख जिसका

 

प्रमुख उपसर्ग, अर्थ एवं उनसे बने शब्द

संस्कृत के उपसर्ग

उपसर्ग – अर्थ - नवीन शब्द

प्र - अधिक, उत्पर्ष, गति, यश, उत्पत्ति, आगे - प्रबल, प्रताप, प्रक्रिया, प्रलाप, प्रयत्न, प्रलोभन, प्रदर्शन, प्रदान, प्रकोप

परा – उल्टा, पीछे, अनादर, नाश – पराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, पराकाष्ठा

अप – लघुता, हीनता, दूर, ले जाना – अपमान, अपयश, उपकार, अपहरण, अपसरण, अपादान, अपराध, अपकर्ष

सम् – अच्छा, पूर्ण, साथ – संगम, संवाद, संतोष, संस्कार, समालोचना, संयुक्त

अनु – पीछे, निम्न, समान, क्रम – अनुशासन, अनुवाद, अनुभव, अनुराग, अनुशीलन, अनुकरण

अव – अनादर, हीनता, पतन, विशेषता – अवकाश, अवनत, अवतार, अवमान, अवसर, अवधि

निस् – रहित, पूरा, विपरीत – निस्तार, निस्सार, निस्तेज, निष्कृति, निश्चय, निष्पन्न

निर् – बिना, बाहर, निषेध – निरपराध, निर्जन, निराकार, निर्वाह, निर्गम, निर्णय, निर्गम, निर्यात, निर्देश

दुस् – बुरा, कठिन – दुश्शासन, दुष्कार, दुस्साहस, दुस्तर, दुर्गम, दु:सह

दुर् – कठिनता, दुष्टता, निंदा, हीनता – दुर्जन, दुराचार, दुर्लभ, दुर्दिन

वि – भिन्नता, हीनता, असमानता, विशेषता – वियोग, विवरण, विमान, विज्ञान, विदेश, विहार

नि – निषेध, निश्चित, अधिकता – निवारण, निपात, नियोग, निवास, निगम, निदान

आ – तक, समेत, उल्टा – आकण्ठ, आगमन, आरोहण, आकार, आहार, आदेश

अति – अत्यधिक – अतिशय, अत्याचार, अतिपात, अतिरिक्त, अतिक्रमण

अधि – ऊपर, श्रेष्ठ, समीपता, उपरिभाव – अधिकार, अधिपति, अध्यात्म, अधिगत, अध्ययन, अधीक्षक, अध्यवसाय

सु – उत्तमता, सुगमता, श्रेष्ठता – सुगम, सुजन, सुकाल, सुलभ, सुपच, सुरम्य

उत् – ऊंचा, श्रेष्ठ, ऊपर – उत्कर्ष, उदय, उत्पत्ति, उत्कृष्ट, उत्पात, उद्धार

अभि – सामने, पास, अच्छा, चारों ओर – अभिमुख, अभ्यागत, अभिप्राय, अभिकरण, अभिधान, अभिनव

परि – आस-पास, सब तरफ, पूर्णता – परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिमाण, परिश्रम, परित्यक्त

उप – निकट, सदृश, गौण, सहायता, लघुता – उपवन, उपकूल, उपकार, उपहार, उपार्जन, उपेक्षा, उपादान, उपपत्ति

प्रति – विशेषार्थ में – प्रतिकार, प्रतिज्ञा, प्रतिष्ठा, प्रतिदान, प्रतिभा, प्रतिमा

 

हिंदी के उपसर्ग

अ/अन – अभाव, निषेध – अछूता, अचेत, अनमोल, अनपढ़, अनगढ़, अपढ़

क/कु – बुराई, नीचता – कुचाल, कुठौर, कपूत

अध – आधा – अधपका, अधमरा, अधकचरा

औ/अव – हीनता, अनादर, निषेध – अवगुण, औघट, औढ़र

नि – निषेध, अभाव – निडर, निकम्मा, निहत्था, निठुर

भर – पूरा – भरपेट, भरपूर, भरसक

सु/स – उत्तमता, साथ – सुडौल, सुजान, सपूत

उन – एक कम – उनचास, उनतीस, उनासी

दु – कम, बुरा – दुबला

बिन – अभाव, बिना – बिनदेखा, बिनबोला

 

विदेशज उपसर्ग अरबी-फ़ारसी के उपसर्ग

कम – अल्प, हीन – कमजोर, कमसिन

खुश – उत्तमता – खुश्बू, खुशहाल, खुशखबरी

गैर – निषेध, रहित – गैरहाजिर, गैरकानूनी

दर – अंदर, में – दरअसल, दरहकीकत, दरकार

ना – अभाव, हित – नालायक, नाजाबज, नापसंद

ब – अनुसार – बनाम, बदौलत

बद – हीनता – बदतमीज, बदबू

बर – पर – बरवक्त, बरखास्त

बा – से – बाकायदा, बाकलम

बिला – बिना – बिलाअक्ल, बिलारोक

बे – अभाव – बेईमान, बेवकूफ, बेहोश

ला – अभाव, बिना – लाजवाब, लावारिस, लापरवाह

सर – श्रेष्ठ – सरताज, सरपंच, सरनाम

हम – साथ – हमदर्द, हमसफर, हमउम्र, हमराज

हर – प्रत्येक – हररोज, हरघड़ी, हरदफा

 

उपसर्गवत अव्यय, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण

अ – अभाव, निषेध – अधर्म, अज्ञान, अनीति

अन् – अभाव/निषेध – अनर्थ, अनंत

अंतर – भीतर – अंतर्नाद, अंतर्राष्ट्रीय

का/कु – बुरा – कापुरुष, कुपुत्र

चिर – बहुत – चिरकाल, चिरंजीव

न – अभाव – नगण्य, नपुंसक

पुनर् – फिर – पुनर्निर्माण, पुनरागमन

पुरा – पहले – पुरातन, पुरातत्त्व

बाहिर/बहिस् – बाहर – बहिष्कार, बहिर्द्वार

स – सहित – सपरिवार, सदेह, सचेत

सत् – अच्छा – सत्पात्र, सदाचार

सह – साथ – सहकारी, सहोदर

अलम् – शोभा, बेकार – अलंकार

आविस – प्रकट/बाहर होना – आविष्कार, आविर्भाव

तिरस् – तिरछा, टेढ़ा, अदृश्य – तिरस्कार, तिरोभाव

पुरस् – सामने – पुरस्कार

प्रादुर् – प्रकट होना, सामने आना – प्रादुर्भाव, प्रादुर्भूत

साक्षात् - .......... – साक्षात्कार

 

दो उपसर्गों से निर्मित शब्द

निर् + आ + करण = निराकरण

अ + सु + रक्षित = असुरक्षित

प्रति + उप + कार = प्रत्युपकार

सम् + आ + लोचना = समालोचना

सु + सम् + कृत = सुसंस्कृत

सु + सम् + गठित = सुसंगठित

अन् + आ + हार = अनाहार

अ + नि + यंत्रित = अनियंत्रित

सम् + आ + चार = समाचार

अति + आ + चार = अत्याचार

अन् + आ + सक्ति = अनासक्ति

अ + प्रति + अक्ष = अप्रत्यक्ष

0 Response to "उपसर्ग क्या होते हैं "

एक टिप्पणी भेजें

Below Title Ads

In-between Ads

slide bar

Below Post Ads