शब्द परिवार के बारे में जाने

नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में हम आपके लिए लाये हैं हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय "शब्द परिवार" | यह पोस्ट आपके विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) जैसे SSC, RRB, IAS, PCS और अन्य स्टेट कम्पीटीशन एग्जाम के लिए जरूरी है |

 शब्द परिवार

shabd parivar
शब्द परिवार कितने प्रकार के होते हैं

1. शब्द परिवार

      शब्दों का भी अपना परिवार होता है | यह परिवार दो तरह का होता है –

A. विभिन्न भाषाओं में एकरूपता के कारण उन शब्दों को पारिवारिक शब्द माना गया है |

नीचे कुछ उदाहरणों के द्वारा हम इस पर चर्चा करेंगे –

1. माता-मा-मम्मी-मदर : 

‘माता शब्द भारोपीय परिवार का एक प्राचीनतम शब्द है, जिसका प्रयोग आर्य जाति बहुत पहले से कर रही थी | इसी कारण इसे –

ग्रीक में       meter

लैटिन में      mater

लिथुवानियन में mote

स्लाव में      mati

जर्मन में      muotar/mutter

आइसलैंडिक   modir

डच          moeder

संस्कृत       मातृ

अंग्रेजी       mother

2. पिता-पितु-पितृ-फादर : 

यह भी अत्यंत पुराना शब्द है | इसका संबंध ‘पा धातु, जिसका अर्थ है – पालन से माना जाता है | इसका आधार अनुकरणमूलक शब्द ‘पा से है | वस्तुत: छोटे बच्चे आरंभ में पा, मा, आदि ओष्ठ्य ध्वनियों का उच्चारण करते हैं | इसे विभिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से संबोधित किया जाता है | जैसे –

अवेस्ता       पिता

ग्रीक         patter

संस्कृत       पितृ

लैटिन        pater

जर्मन        vater

गौथिक       fadar

अंग्रेजी       father

3. पुत्र-बेटा-सुत-सन-सूनु-स्नुषा : 

‘पुत्र शब्द की व्युत्पत्ति गोपथ ब्राह्मण, निरुक्त, रामायण, महाभारत, मनुस्मृति, कठोपनिषद् आदि में मिलती है | एक मत के अनुसार इसकी रचना ‘पुत्’ से मानी गई है | कठोपनिषद में कहा गया है : “पुं नरकात् त्रायते इति पुत्र: |” अर्थात ‘पुत्’ नामक नरक से तारने वाले को ही पुत्र कहा गया है | इसकी व्युत्पत्ति है : पुत् + त्र / इस आधार पर ‘पुत्र को ‘पुत्त्र’ लिखना चाहिए, लेकिन प्रचलन में ‘पुत्र’ ही लिखा जाता है |

पुत्रार्थी संस्कृत शब्द ‘सूनु अपेक्षाकृत अति प्राचीन है | इसका संबंध ‘सू (पैदा होना) धातु से माना जाता है | अर्थात ‘सूनु वह है, जो पैदा हो | इसे –

अंग्रेजी में           son

अवेस्ता में          hunu

लिथुवानियन में       sunus

स्लाव में            synu

गोथिक में           sunus

एंग्ला-सैक्सन में      sunu

जर्मन में            sohn

डच में             zoon

नार्स में             sunu

वैदिक साहित्य में ‘स्नुषा (पतोहू) का संबंध भी ‘सूनु से ही माना जाता है | इस ‘स्नुषा का रूप भी विभिन्न भाषाओं में इस प्रकार मिलता है –

पंजाबी में           नू

लैटिन में            snurus

स्लाव में            snucha

ऐंग्लो सैक्सन में      snoru

जर्मन में            snura, schnur

ग्रीक में             nuos

हिंदी में             पतोहू

संस्कृत में           पुत्रवधू

4. दुहिता-दुध्दर-दुख्तर-डाउटर-बेटी : 

निरुक्त में ‘दूरे हिता भवति कहकर निरुक्तकार ने इसे दूर रहने में हित की सिफारिश की है तो कुछ लोगों ने ‘दुहिता का संबंध ‘दह्’ (जलाना) से माना है | कुछ का कहना है कि यह शब्द ‘दू (दुखी करना) से संबंधित है; परन्तु प्राचीन भारोपीय परिवार में पुत्री का प्रमुख कार्य गाये दुहना था | इस प्रकार ‘दुहिता का मूलार्थ हुआ – दूध दूहनेवाली | इसे –

अवेस्ता में          दुघ्दर

फ़ारसी में           दुख्तर

ग्रीस में             thygater

जर्मन में            tochter

अंग्रेजी में           daughter

गोथिक में           dauchter

लिथुवानियम में       dukter

स्लाव में            dushti

5. भाई-ब्रदर-भ्राता : 

इसका संबंध संस्कृत के ‘भ्रातृ’ से माना गया है | एक दूसरे मत के अनुसार इसका संबंध ‘भ्राज्’ (चमकना) से माना जाता है | यह भी विभिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है –

अंग्रेजी में           brother

अवेस्ता में          bratar

जर्मन में            bruder

फ्रेंच में             freve

लैटिन में            frater

लिथुवानियमन में     broterelis

स्लाव में            bratru

गोथिक में           brother

ग्रीक में             phrater

संस्कृत में           भ्राता

हिंदी में             भाई

इसी शब्द से भ्रातृज, भतीजा, भ्रातृजा, भतीजी, भावज, भ्रातृजाया, भौजाई, भौजी आदि सम्बद्ध हैं |

      इसी तरह कुछ अन्य शब्दों को विभिन भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है :

बहिन :

अंग्रेजी में           sister

हिंदी में             बहिन/बहन

संस्कृत में           भगिनी, स्वसा

जर्मन में            schwester (संस्कृत ‘स्वसृ’ से)

लिथुवानियन में       sesu

लैटिन में            soror

ग्रीक में             sor

आइसलैंड में         systir

डच में             zuster

गोथिक में           swister

इसी शब्द से बने अन्य शब्द हैं – बहनोई, भगिनीपति, भानजा, भागिनेय, भानजी, भाँजी, भागीनेयी आदि |

ससुर :

संस्कृत में           श्वसुर

ग्रीक में             ekuros

लैटिन में            soccer

लिथुवानियन में       szeszuras

गोथिक में           swaihra

जर्मन में            sweher

स्लाव में            svekru

ऐंग्लोसैक्सन में       sweor

और इसी से बने शब्द सास, ससुराल, साला, साली आदि हैं |

      इस प्रकार हमने देखा कि व्युत्पत्ति या मूल शब्द के आधार पर दुनिया की बहुत सारी भाषाओं के शब्दों को एक परिवार के अंतर्गत रखा गया है | इसका विस्तृत अध्ययन भाषा-विज्ञान में किया जाता है |

B. शब्द का दूसरा परिवार है – एक ही शब्द में विभिन्न उपसर्गों-प्रत्ययों को जोड़कर बनाए गए शब्द, जिनमें मूल रूप से वह शब्द (मौलिक शब्द) विद्यमान रहता है | नीचे हम कुछ उदाहरणों को देखेंगे –

देश :

देश + ई = देशी

देश + ईय = देशीय

देश + भक्त = देशभक्त

देश + बन्धु = देशबन्धु

प्र + देश = प्रदेश

स्व + देश = स्वदेश

पर + देश = परदेश

अनु + देश = अनुदेश

देश + ज = देशज

देश + अंतर = देशांतर

देश + भक्ति = देशभक्ति

देश + अटन = देशाटन

वि + देश = विदेश

स्व + देशी = स्वदेशी

पर + देश + ई = परदेशी

देश + गान = देशगान

देश + रत्न = देशरत्न

देश + निकाला = देशनिकाला

आ + देश = आदेश

वि + देश + ई = विदेशी

नि: + देश = निर्देश

सम् + देश = संदेश

 

      उपर्युक्त सारे शब्द एक ही परिवार के सदस्य शब्द हुए | इसी तरह से निम्नलिखित शब्दों से चार-चार नये शब्द बनाएं :

सत्य, वन, भारत, अर्थ, धन, धर्म, काम, जल, ग्राम, ज्ञान, चल, रथ, शहर, नगर, विज्ञान, जाति, विद्या, दल, पुस्तक, छल, मन, दिन, लोक, भोग, जहर, शिक्षा, संगठन, अंक, अंग, दया, अन्य, आत्मा, शिवा, शक्ति, वर्ष, गुण, कुल, आशा, जय, शोभा, उत्साह, कर्म, जीव, मूर्ख, कला, उदय, इतिहास, कृषि, मांस, सेना, प्रार्थना, रंग, हर्ष, शरीर, शुद्ध, अग्र, चर, एक, आदर, उत्तर, उपज, खुश, पुत्र, दोष, शांत, निशा, दाम, भूमि, लहर, कष्ट, काल, घर, पति, राष्ट्र, प्रांत, खर्च, व्यय, अंशु, वर, अपराध |

 

ध्वन्यात्मक शब्द

      जब हम आदिम मानवों के काल का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि भाषा के विकास, शब्दों के जन्म का उस समय की परिस्थितियों, प्राकृतिक घटनाओं, अन्य जीव-जन्तुओं से गहरा संबंध रहा है | न सिर्फ ध्वन्यात्मक शब्दों की उत्पत्ति का कारण रहा है वह आदिम-युग, बल्कि विभिन्न प्रकार की लिपियों यानी वर्णों के आकार-प्रकार का श्रेय भी रहा है | हम विभिन्न वर्णों के आकारों और पेड़-पौधों की टहनियों, उस समय के हथियारों, पशुओं के दांतों, सींगों, पक्षियों की चोंचों, पैरों आदि में काफी कुछ समानता पाते हैं | उसी प्रकार विभिन्न ध्वनियों में हम प्राकृतिक घटनाओं की ध्वनियों, पशु-पक्षियों की बोलियाँ आदि में काफी कुछ साम्य पाते हैं और उन ध्वनियों से बने बहुत-सारे शब्दों का हम आज भी भाषा में प्रयोग करते हैं | नीचे कुछ ऐसी ही ध्वनियाँ दी जा रही हैं –

हाथी   -     चिग्घाड़ना

भेंड़    -     भें-भें करना

बिल्ली -     म्याऊं-म्याऊं

सुअर  -     किकियाना

ऊंट    -     बलबलाना

शेर    -     गरजना

बाघ   -     गुर्राना

भालू   -     खों-खों

सांड   -     डकारना

कुत्ता   -     भौंकना

गाय   -     रंभाना

भैंस   -     चुकरना

बकरा  -     बों-बों

उल्लू  -     घुघुआना

गदहा  -     रेंकना

घोड़ा   -     हिनहिनाना

बंदर   -     किकियाना

पत्ता   -     खड़-खड़

कौआ  -     कांव-कांव

तोता   -     टें-टें

सियार -     हुआँ-हुआँ

चिता  -     चट-चट

घड़ी   -     टिक-टिक

झींगुर  -     झंकारना

मोर   -     कें-कें

दिल   -     धक-धक

हथियार -     झन-झन

कोयल -     कूकना

पपीहा  -     पीऊ-पीऊ

हंस    -     कूजना

मक्खियाँ      -     भिन-भिन

भौंरा   -     गुन-गुन

रूपये  -     खनकना

हवा   -     सन-सन..........

दांत   -     कट-कट..........

जूता   -     मच-मच/चरमराना

कबूतर -     गुटर गूँ गुटर-गूँ

चिड़िया -     चहचहाना, चूँ-चूँ

चूड़ी   -     खन-खन.........

कपड़ा  -     फड़-फड़..........

चूहा   -     चूँ-चूँ

मूर्गी   -     कुकड़ना

बिजली -     कड़कना

मेघ   -     गरजना

बत्तख  -     कें-कें

मुर्गा   -     बांग देना


0 Response to "शब्द परिवार के बारे में जाने"

एक टिप्पणी भेजें

Below Title Ads

In-between Ads

slide bar

Below Post Ads