हिंदी व्याकरण भाग -I भाषा (भाषा के परिवार)
सोमवार, 20 अप्रैल 2020
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(क) भारोपीय परिवार :- उत्तरी भारत में बोली जानेवाली भाषाएँ
(ख) द्रविड़ परिवार :- तमिल,तेलुगु,कन्नड़,मलयालम
(ग) आस्ट्रिक परिवार :- संताली, मुंडारी, हो, सवेरा, खड़िया, कोर्क,भूमिज,गदबा,प्लौंक,वा,खासी,मोनख्मे,निकोबारी |
(घ) तिब्बती-चीनी :- लुशेई,मेइथेइ,मारो, मिश्मी, अबोर-मिरी, अक |
(ङ) अवर्गीकृत :- बुरुशास्की, अंडमानी
(च) करेन तथा मन :- बर्मा की भाषा (जो अब स्वतंत्र है)
हिंदी भाषा
बहुत सारे विद्वानों का मत है कि हिंदी भाषा संस्कृत में निष्मन्न है : परन्तु यह बात सत्य नहीं है | हिंदी की उत्पति अपभ्रंश भाषाओं से हुई है और अपभ्रंश की उत्पति प्राकृत से | प्राकृत भाषा अपने पहले की पुरानी बोलचाल की संस्कृत से निकली है | स्पष्ट है कि हमारे आदिम आर्यों की भाषा पुरानी संस्कृत थी | उनके नमूने ऋग्वेद में दिखते है | उसका विकास होते होते कई प्रकार की प्राकृत भाषाएँ पैदा हुई| हमारी विशुद्ध संस्कृत किसी पुरानी प्राकृत से ही परिमार्जित हुई है |प्राकृत भाषाओं के बाद, अपभ्रंशों का जन्म हुआ और उनसे वर्तमान संस्कृतोत्पन्न भाषाओं की | हमारी वर्तमान हिंदी, अर्द्धमागधी और शौरसेनी अपभ्रंश से निकली है |
हिंदी भाषा और उसका साहित्य किसी एक विभाग और उसके साहित्य के विकसित रूप नहीं है ; वे अनेक विभाषाओं और उनके साहित्यों की समष्टि का प्रतिनिधित्व करते है | एक बहुत बड़े क्षेत्र – जिसे चिरकाल से मध्यदेश कहा जाता रहा है –की अनेक बोलियों के ताने बाने से बुनी यही एक ऐसी आधुनिक भाषा है जिसने अनजाने और अनौपचारिक रीति से देश की ऐसी व्यापक भाषा बनने का प्रयास किया था जैसी संस्कृत रहती चली आई थी ; किन्तु जिसे किसी नवीन भाषा के लिए अपना स्थान तो रिक्त करना ही था |
वर्तमान हिंदी भाषा का क्षेत्र बड़ा ही व्यापक हो चला है | इसे निम्नलिखित विभागों में बाँटा गया है –
(क) बिहारी भाषा :- बिहारी भाषा बंगला भाषा से अधिक सम्बन्ध रखती है |यह पूर्वी उपशाखा के अंतर्गत और बंगला,उड़िया और आसामी की बहन लगती है | इसके अंतर्गत निम्न बोलियाँ है –मैथिलि,मगही,भोजपुरी, पूर्वी आदि |मैथिलि के प्रसिद्ध कवि विद्यापति ठाकुर और भोजपुरी के बहुत बड़े प्रचारक भिखारी ठाकुर हुए |
(ख) पूर्वी हिंदी :- अर्द्धमागधी प्राकृत के अपभ्रंश से पूर्वी हिंदी निकली है |गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस – जैसे महाकाव्यों की रचना पूर्वी हिंदी में ही की | दूसरी तीन बोलियाँ है – अवधी,बघेली और छतीसगढ़ी | मलिक मोहम्मद जायसी ने अपनी प्रसिद्ध रचनाएँ इसी भाषा में लिखी है |
(ग) पश्चिमी हिंदी :- पूर्वी हिंदी तो बाहरी और भीतरी दोनों शाखाओं को भाषाओं के मेल से बनी है परन्तु पश्चिमी हिंदी का सम्बन्ध भीतरी शाखा से है |
यह राजस्थानी, गुजराती और पंजाबी से सम्बन्ध रखती है | इस भाषा के कई भेद है – हिन्दुस्तानी , ब्रज,कन्नौजी,बुन्देली , बांगरु और दक्षिणी |
गंगा – यमुना के बीच मध्यवर्ती प्रांत में और उसके दक्षिण दिल्ली से इटावे तक ब्रजभाषा बोली जाती है | गुडगाँव और भरतपुर,करोली और ग्वालियर तक ब्रजभाषी है | इस भाषा के कवियों में सूरदास और बिहारीलाल ज्यादा चर्चित हुए |
कन्नौजी,ब्रजभाषा से बहुत कुछ मिलती जुलती है | इटावा से इलाहबाद तक इसके बोलने वाले है | अवध के हरदोई और उन्नाव में यही भाषा बोली जाती है |
बुन्देली बुन्देलखंड की बोली है | झांसी, जालीन , हमीरपुर और ग्वालियर के पूर्वी प्रांत, मध्य प्रदेश के दमोह छत्तीसगढ़ के रायपुर, सिउनी, नरसिंहपुर आदि स्थानों की बोली बुन्देली है | छिंदवाडा और हुशंगाबाद के कुछ हिस्सों में भी इसका प्रचार है |
हिसार, जींद, रोहतक, करनाल आदि जिलों में बाँगरू भाषा बोली जाती है | दिल्ली के आसपास की भी यही भाषा है |
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