विराम चिन्ह क्या है और विराम चिन्ह कितने प्रकार के होते हैं ?
विराम
हिंदी व्याकरण में महत्वपूर्ण रहता है कि आप भाषा के प्रयोग के साथ वाक्यों में विराम देना भी सही से जाने , क्यूंकि अगर विराम सही स्थान पर न दिया जाए तो उस वाक्य का अर्थ और ही बन जाता है | इसी विषय से सबंधित हम विराम के बारे में आपको अवगत करा रहे हैं |
विराम चिन्हों के प्रकार |
‘विराम’ का अर्थ है – विश्राम अथवा ठहराव | भाषा द्वारा जब हम अपने भावों को प्रकट करते है तब एक विचार या उसके कुछ अंश को प्रकट करने के पश्चात् हम थोड़ा रुकते है, इसे ही ‘विराम’ कहते है और इसे स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है , उन्हें ही विराम चिन्ह कहते है |
विराम-चिन्हों के गलत प्रयोग से अर्थ का अनर्थ हो जाता है यानी अर्थ बदल जाता है | नीचे लिखे वाक्यों को देखें "रोको, मत जाने दो |(रोक लो, वह जाने न पाए)
रोको मत, जाने दो |(छोड़ दो, मत रोको)"
भाव की पूर्णता के स्तर के ही अनुकूल विराम का काल भी होता है |लिखने में इन विरामों का काल-भेद चिन्ह विशेषों से सूचित किया जाता है | श्रोताओं तथा पाठकों को इन विराम के विभिन्न स्तरों से पता चल जाता है कि वक्ता या लेखक कहां तक के कथन को अपने अभिप्राय की एक इकाई बताना चाहता है |
विराम चिन्ह न सिर्फ ठहराव को ही सूचित करते है बल्कि किसी वाक्य के पदों, वाक्यांशों तथा खंड वाक्यों के बीच प्रयुक्त होकर विभिन्न भावों को भी सम्प्रेषित करते है | जैसे—आतंकवाद क्या है ?
इस वाक्य में (?) इस चिन्ह से कोई ठहराव सूचित नहीं हो रहा है | इससे प्रश्न करने का भाव व्यंजित हो रहा है | अतएव एक तरह के चिन्हों को विराम चिन्ह कहना गलत होगा |
हिदी भाषा में निम्नलिखित प्रकार के चिन्हों का प्रयोग किया जाता है | इन चिन्हों को दो भागों में बाँटा जा रहा है – विराम चिन्ह और मनोभाव या भाव- चिन्ह |
1. विराम-चिन्ह
a. पूर्ण विराम (Full stop) -- | या .
यह चिन्ह एक अभिप्राय की समाप्ति को सूचित करता है | अतएव प्रत्येक वाक्य की समाप्ति पर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है | जैसे – हमें पर्यावरण को नष्ट होने से बचाना चाहिए | पेड़-पौधे प्रकृति में संतुलन बनाये रखते है |
नोट: आधुनिक हिंदी में (खासकर पत्र पत्रिकाओं में) खड़ी पाई (पूर्णविराम का चिन्ह) की जगह बिंदु (अंग्रेजी का sign) का प्रयोग करना शुरू कर दिया है|
जैसे – प्रवर अच्छा लड़ा है . वह चतुर्थ वर्ग का छात्र है . इसकी दीदी बारहवीं की छात्रा है .
b. अपूर्ण विराम या उपविराम (Colon) – ‘:’
जहाँ एक वाक्य के समाप्त हो जाने पर भी विवक्षित भाव समाप्त नहीं होता : आगे की जिज्ञासा बनी रहती है , वहां पूर्णविराम से कम देर तक ठहरते हुए आगे तब तक बढ़ते जाते है , जब तक वक्तव्य पूरा नहीं होता | उस जगह पर अपूर्ण विराम का प्रयोग देखा जाता है |
जैसे – शब्द और अर्थ के बीच तीन में से कोई सम्बन्ध हो सकता है : अभिथा, लक्षणा, व्यंजना | \nअपूर्ण विराम का प्रयोग संवाद-लेखन,एकांकी-लेखन या नाटक-लेखन में वक्ता के नाम (पात्र/पात्रा के नाम) के बाद किया जाता है | जैसे –आशु : दीदी, आपका क्या लक्ष्य है ?
अंशु : मैं इंजीनियर बनना चाहती हूँ |
भाव में एक – दूसरे से सम्बन्धित वाक्यों को अलग करने के लिए भी इस चिन्ह का प्रयोग होता है | जैसे – मेरे पास तेरे लिए एक सूचना है “ तेरे स्थानांतरण की चर्चा हो रही है |
c. अर्द्ध विराम (Semicolon) – ‘;’
जहां अपूर्ण विराम से भी कम ठहराव का संकेत होता है , वहाँ इस तरह के चिन्ह का प्रयोग होता है | जैसे --- “हमने देखा है कि जिन्दगी का रास्ता कितना लम्बा और कठिन है ; यह देखा है कि हर कदम पर कठिनाई कम होने के बजाए और बढ़ती ही जाती है ; यह भी देखा है कि किस तरह लोग अपने जीवन की वर्तमान परिस्थितियों से ऊबकर मौत तक को गले लगा लेते है |”
यदि खंडवाक्य का आरंभ वरन्, पर, किन्तु,क्योंकि,इसलिए,तो भी आदि शब्दों से हो तो उसके पहले इसका प्रयोग करना चाहिए | जैसे --- आरा,छपरा, और बाँकीपुर के लोगों की आँखे डबडबाई हुई है ; क्योंकि अभी-अभी पता चला है कि वीर कुँवर सिंह परलोक सिधार गए | \nलगातार आनेवाले पदबंधो के बीच भी अर्द्ध-विराम का प्रयोग किया जाता है | जैसे --
सुबह से शीतल,मंद,सुगंधित समीरन के झोंकों से कलियाँ खिलखिला उठती है ; वृक्षों को छोटी बड़ी टहनियाँ झूम उठती है ; रात की नींद का आनंद लेकर जीव-जगत् पूर्वदिन का क्लेश भूल जाता है | पक्षियों के सुमधुर कलरव से वातावरण गुंजायमान हो जाता है और धीरे-धीरे बाल अरुण अंधकार रूपी राक्षस को लील जाता है |
d. अल्प विराम (Comma)—“,”
अल्पविराम का क्षेत्र बड़ा व्यापक होता है | इसमें बहुत कम ठहराव होता है | इस चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर होता है ---
i. जहाँ एक प्रकार के अनेक शब्द आ शब्द समूह आये और योजक (और,तथा,एवं व आदि) का प्रयोग केवल अंतिम दो के बीच आये,वहां शेष दो के बीच अल्पविराम आता है | जैसे --- राजा दशरथ के चार लड़के थे – राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न |(दो संज्ञाओं के बीच) \nचारो भाई सुंदर,सुशील,नम्र,दयालु और सबल थे |(दो विशेषण के बीच)
चारो साथ-साथ खेलते, खाते,पढ़ते और टहलते थे | (दो क्रियाओं के बीच)
ii. जहाँ योजक छोड़ दिया जाता है | जैसे- सोनी बहुत खुश हुई, वह माँ बननेवाली थी न |
विध्वंस एक दिन में हो सकता है, निर्माण नहीं |
iii. दो बड़े वाक्यांशों के बीच | जैसे --
परन्तु उनके कष्ट-सहन से, उन कष्टों को मानव-कल्याण के प्रयत्नों में ढालने की उनकी शक्ति से आधुनिक युग को अजस्त्र जीवन-प्रेरणा मिली है |
iv. हाँ,नहीं,जी,बस,अत:अतएव,अच्छा आदि से शुरू होनेवाले वाक्यों में इन शब्दों के बाद | जैसे – जी हाँ, मैंने बार-बार सावधान किया था उसे |अच्छा,अवश्य जाऊँगा |
v. संबोधित संज्ञा के बाद – प्रखर, जरा इधर तो आइए|
vi. दी गई संज्ञा की विषय में विशेष सुचना के रूप में आनेवाली संज्ञा या सर्वनाम के पहले और बाद में | जैसे – रावण, लंका का राजा, बड़ा ही विद्वान था | बगदाद, इराक की राजधानी, बहुत ही सुंदर महानगर है |
vii. यदि कोई वाक्य प्रत्यक्ष कथन में हो तो मुख्य कथन के पहले : वैज्ञानिकों ने कहा है, “ पानी अमृत है | इसे बर्बाद मत करो |”
viii. जब परस्पर सम्बन्ध रखनेवाले दो शब्दों के विच में पद, वाक्यांश या खंडवाक्य आकर उन्हें अलग अलग कर डे तो उनके दोनों तरफ़ | जैसे – शिम्पी काकी, जिसके विषय में मैं तुमसे बातें कर रहा था , बहुत ही अच्छा गाती है |
ix. नित्य – सम्बन्धी शब्दों के जोड़ का दूसरा शब्द लुप्त रहे तो वहाँ भी यानी वाक्य में जहाँ कोई पद छुट गया हो और वहाँ उसकी अनिवार्यता लगे, उस स्थल पर अल्पविराम का प्रयोग होता है | जैसे – वह जहाँ जाता है , बैठ जाता है | (अल्प विराम की जगह ‘वही’ की अनिवार्यता महसूस की जा रही है |)
वह कब तक आएगा, कहा नहीं जा सकता | (यह छुटा है)
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