अकबर के नवरत्न के बारे में जाने

 सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। अकबर के कार्य काल को स्वर्णिम काल कहा जाता है | अकबर के दरबार में प्रमुख रत्न नौ थे जो निम्नलिखित हैं :-


1. बीरबल – महेश दास, (1528-1586) जो बीरबल के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं, मुगल बादशाह अकबर के दरबार में प्रमुख वज़ीर और अकबर के परिषद के नौ सलाहकारों (नवरत्नों) में से एक थे। दीन ए इलाही धर्म को स्वीकार करने बाले प्रथम व अंतिम हिन्दू शासक बीरबल थे !




2. हकीम हुक्काम – हकीम हुक्काम , मुग़ल सम्राट अकबर का सलाहकार और नवरत्नों में से एक था।वह आचारवान, उदार और मीठा बोलने वाला व्यक्ति था. अकबर इस वजह से इससे बड़ा खुश रहता था. हकीम हमाम शाही परिवार के बावर्ची खाने का प्रधान था. कहा जाता है कि यह लिपि पहचानने और कविता समझने में  विशेष रुप से माहिर था.



3. मुल्ला दो प्याजा – अकबर के नौ रत्नो में से एक मुल्ला दो प्याज़ा का असली नाम अबुल हसन था। हुमायूँ के समय वह भारत आया था। मुल्ला दो प्याजा अकबर के दरबार में नवरत्न थे,हवाऐं चलें तनन तनन ये इनका तखिये का कलाम था.



4. राजा मानसिंह – अकबर के नवरत्नों में से एक राजा मान सिंह का भी नाम शामिल है. ये अपनी बुद्धिमत्ता और सैन्य कुशलता के कारण अकबर के काफी करीबी रहे. इनके कार्यों से खुश होकर अकबर इन्हें फरजंद और कभी 'राजा मिर्जा' कहकर पुकारते थे. राजा मान सिंह का जन्म 1540 में हुआ था, जो आमेर (अम्बर) के राजा थे.



5. राजा टोडरमल – राजा टोडरमल मुग़ल काल में सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। टोडरमल खत्री जाति के थे और उनका वास्तविक नाम 'अल्ल टण्डन' था। वह समझदार लेखक और वीर सम्मतिदाता थे। अकबर की कृपा से बड़ी उन्नति करके चार हज़ारी मनसब और अमीरी और सरदारी की पदवी तक पहुँच गए।


6. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना –  अब्दुल रहीम खान-ए-खाना | अब्दुल रहीम खान-ए-खाना एक लोकप्रिय भारतीय सूफी कवि थे, जो रहीम के नाम से जाने जाते थे |  यह अकबर के दरबार में राजकवि थे !


7. राजा भगवान दास  - भगवानदास जिन्होंने गुजरात युद्ध के समय अकबर का साथ दिया था. यही नहीं उन्होंने कई युद्धों में अकबर की मदद की.



8. तानसेन – तानसेन या रामतनु हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के एक महान ज्ञाता थे। अकबर ने इन्हें कंठाभरण वाणीविलास की उपाधी दी थी | ये अपनी संगीत कला के रत्न थे। इस कारण उनका बड़ा सम्मान था। संगीत गायन के बिना अकबर का दरबार सूना रहता था।



9. अबुल फजल – अबुल फजल ने अकबरनामा एवं आइने अकबरी जैसे प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की। पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर ए सादात नाम से किया !


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